भारत का धार्मिक इतिहास इन हिंदी | Bharat Ka Dharmik Itihas PDF Download Free
Bharat Ka Dharmik Itihas Book in PDF Download
The word religion is formed only by wearing the root of Dhri. All the people are bound by religion. That is the religion by which all the people are imbibed - it has been decided.
There is no doubt that this is very true. Our religion is really that, by which we are held, all the people are held, there should be progress. Keeping this in mind, our religious leaders have formulated religious elements and at the same time have taken full care that the chain of social-creation should not be broken in any way. Rather, it has even been emphasized on this subject, that everything can be achieved through religion, without religion nothing can happen, the same condition of a religionless society becomes, which is a boat lying in the middle. That is why all the actions of the world have been ordered to be done righteously.
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धारणाद्धर्म मित्याहुः धर्मो धारयते प्रजाः । यत्स्या द्धारा संयुक्तं स धर्म इति निश्चयः ॥ • म० भा० कर्ण पर्व )
धृ धातु धारण करनेसे ही धर्म शब्द बना है। धर्मसे ही सब प्रजा बँधी हुई है। जिससे सब प्रजाका धारण होता है, वही धर्म है- यह निश्चय किया गया है !
इसमें सन्देह नहीं, कि बात बहुत ही ठीक है। हमारा धर्म वास्तव में वही है, जिससे हमारा धारण हो, समस्त प्रजाका धारण हो, लोकोन्नति होती रहे। इसी बातको लक्ष्यमें रखकर हमारे धर्माचार्यांने धार्मिक तत्वोंका निरूपण किया है और साथ ही इस बातपर पूरा पूरा ध्यान रखा है, कि समाज-रचना की श्रृंखला किसी तरह न टूटने पावे। बल्कि यहाँतक इस विषयपर जोर दिया है, कि धर्म द्वारा ही सब कुछ प्राप्त हो सकता है, बिना धर्मके कुछ हो ही नहीं सकता, धर्महीन समाजकी वही अवस्था हो जाती है, जो मझधार में पड़ी हुई नावकी होती है। इसलिये संसार के सभी कर्म धर्म पूर्वक करनेकी आज्ञा दी गयी है ।
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