शिवा बावनी हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Shiva Bavani PDF Download Free
Some Excerpts From the Book Shiva Bavani
Shiva Bavani.
Poetry Manharan |
Saji Chaturanga climbed the turang in Bir Rang,
Sarja Siwa Ji Jung Jeetan is going on. Bhushan Bhant nad bhad nigaran ke, ail phall bail bhel khalik for river river mad gabaran, gal gal, gajan's tail pail sal is used. Tara so tarni dhuri stream in the stream, Jimmy,
Paravar on the stream is like this. 1 gist
Bhupan describes Shivaji's war journey, Shivaji is preparing his Chaturangini (elephant, horse, chariot and foot) army with great enthusiasm and is going to win the war on horseback. There is a lot of drumbeats going on. That tax from the heads of drunken elephants is being found in the river, that is, the river of Madh is flowing. There is a stir in the world due to the noise of Foul. There is so much dust in the sky that the sun is covered with dust and looks like a small star, and the sea is shaken by the weight of Shivaji's army, just as the mercury in the plate moves. .
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शिवा बावनी पुस्तक के कुछ अंश
शिवा बावनी ।
कवित्त-मनहरण |
साजि चतुरंग बीर रंग में तुरंग चढ़ि,
सरजा सिवा जी जंग जीतन चलत है। भूषन भनत नाद बिहद नगारन के, नदी नद मद गैबरन के रलत ऐल फैल बैल भैल खलक में गैल गैल, गजन की टैल पैल सैल उसलत है । तारा सो तरनि धूरि धारा में लगत जिमि,
धारा पर पारा पारावार यों हलत है ॥ १ ॥ भावार्थ
भूपण शिवाजी की युद्ध यात्रा का वर्णन करते हैं शिवाजी बड़े ही उत्साह से अपनी चतुरंगिणी ( हाथी, घोड़े, रथ और पैदल युक्त ) सेना तैयार करके घोड़े पर सवार हो युद्ध में विजय प्राप्त करने जा हैं। बेहद नगाड़ों का शब्द हो रहा है। मतवाले हाथियों के मस्तक से मद वह कर नदी नद में मिल रहा है, अर्थात् मढ की नदी बह रही है। फ़ौल के कोलाहल से संसार में गली गला हलचल मच रही है। फ़ौज की धूम के मारे इतनी धूल आकाश में छा रही है कि सूर्य धूल से ढक जाने के कारण एक छोटे तारे के समान मालूम होता है, और जिस प्रकार थाली में पारा हिलता है, उसी प्रकार शिवाजी की सेना के भार से समुद्र हिल रहा है।
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शिवा बावनी | Shiva Bavani PDF | |
Hindi | |
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