गुनाहों का देवता फुल स्टोरी PDF | Gunaho Ka Devta Hindi Book PDF

गुनाहों का देवता फुल स्टोरी pdf | Aghori Tantra PDF Download Free 

गुनाहों का देवता | Gunahon Ka Devta hindi pdf download
 Gunahon Ka Devta

गुनाहों का देवता  पीडीएफ में डाउनलोड करे 

धर्मवीर भारती द्वारा रचित 'गुनाहों का देवता सबसे बेहतर किताब है , इसे मैंने कम से कम 5 बार तो जरूर पढ़ी थी , जिन जिन लोगो ने पढ़ी सबको पसन्द आई , इस उपन्यास में एक अनोखा प्यार झलकता है ।

गुनाहों का देवता उपन्यास की गिनती हिंदी साहित्य जगत में उन रचनाओं में होती है जिन्होंने साहित्य की धारा को ही एक नया मोड़ दिया है। प्रथम प्रकाशन के 65 साल बाद भी यह सबसे ज्यादा मांग में रहने वालों उपन्यासों में से एक है ।इतने वर्ष के बाद भी अगर यह उपन्यास लोगों की निगाहों में बना हुआ है तो इसमें कुछ तो बात होगी और सचमुच प्रेम का इतना प्राकृतिक और वास्तविक वर्णन मैंने और कहीं नहीं पढ़ा और कहीं नहीं सुना। उपन्यास के शुरुआत में ही भारती जी कहते हैं कि "मेरे लिए इस उपन्यास का लिखना वैसा ही रहा है, जैसा पीड़ा के क्षणों में पूरी आस्था से प्रार्थना करना और इस समय भी मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे मैं प्रार्थना मन ही मन दोहरा रहा हूं, बस।"

इस कहानी का ठिकाना अंग्रेज ज़माने का इलाहाबाद रहा है। कहानी के तीन मुख्य पात्र हैं : चन्दर , सुधा और पम्मी। पूरी कहानी मुख्यतः इन्ही पात्रों के इर्दगिर्द घूमती रहती है। चन्दर सुधा के पिता यानि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के प्रिय छात्रों में है और प्रोफेसर भी उसे पुत्र तुल्य मानते हैं। इसी वजह से चन्दर का सुधा के यहाँ बिना किसी रोकटोक के आना जाना लगा रहता है। धीरे धीरे सुधा कब दिल दे बैठती है, यह दोनों को पता नहीं चलता। लेकिन यह कोई सामान्य प्रेम नहीं था। यह भक्ति पर आधारित प्रेम था। चन्दर सुधा का देवता था और सुधा ने हमेशा एक भक्त की तरह ही उसे सम्मान दिया था। यह ‘विराटा की पद्मिनी’ के कुंजरसिंह और पद्मिनी की सदृश प्रेम था।

चन्दर पूरे समय आदर्शवादी बना रहा। उसे सदैव यह लगता था कि जिन प्रोफेसर ने उसे इतना प्यार दिया, अपने बेटे की तरह रखा उन्हीं की बेटी से अगर वह प्यार कर बैठता है तो उन पर क्या गुजरेगी। इसी उधेड़बुन में वह कभी तैयार नहीं हो पाता है। चन्दर के माध्यम से भारती जी ने एक मध्यम वर्ग के नौजवान की मानसिक स्थिति का वर्णन किया है जिसमें उसे सामाजिक और पारिवारिक अपेक्षाओं के आगे अपनी इच्छाओं की बलि देनी पड़ती है। साथ ही साथ प्रचलित मार्ग पर ही चलना पड़ता है, नए मार्ग पर चलने पर मानहानि का डर भी सताता रहता है। चन्दर हमेशा पसोपेश में रहता है कि क्या करना उचित रहेगा। चन्दर समाज के हर एक बंधन से बंधा था जो कि हमेशा उसे अपने मन की करने से रोक देते थे। यही एक गुनाह चन्दर ने किया था जिसके कारण वह गुनाहों का देवता हो गया था। चन्दर की लाचारी इन वाक्यों से ही झलकती है :

“कुछ नहीं बिनती! तुम कहती हो, सुधा को इतने अन्तर पर मैंने रखा तो मैं देवता हूँ! सुधा कहती है, मैंने अन्तर पर रखा, मैंने पाप किया! जाने क्या किया है मैंने? क्या मुझे कम तकलीफ है? मेरा जीवन आजकल किस तरह घायल हो गया है, मैं जानता हूँ। एक पल मुझे आराम नहीं मिलता। क्या उतनी सजा काफी नहीं थी जो सुधा को भी किस्मत यह दण्ड दे रही है? मुझी को सभी बचैनी और दु:ख मिल जाता। सुधा को मेरे पाप का दण्ड क्यों मिल रहा है?”

सुधा वासना में पड़े बिना प्यार का निश्छल प्रतीक थी। उसकी बातों में सामाजिक तानाबाना के प्रति उसकी अनभिज्ञता और उनसे आज़ाद होने की इच्छा साफ़ झलकती थी। लेकिन कभी भी उसने अपने देवता यानी चन्दर की इच्छा के विपरीत कुछ नहीं किया। उसकी मासूमियत, उसका भोलापन चन्दर की ताकत थे। उसका अल्हड़पन चन्दर से कोई संकोच नहीं रखता था। वह व्यवहारिक नहीं थी, वह हर चीज के लिए प्रश्न करती थी कि ऐसा क्यों नहीं है। चन्दर भी उसे क्या जवाब देता। जो चीज सदियों से चली आई है, उसमें वह क्या ही कर सकता था। सुधा कहती भी है कि,

"गलत मत समझो चन्दर! मैं जानती हूँ कि मैं तुम्हारे लिए राखी के सूत से भी ज्यादा पवित्र रही हूँ लेकिन मैं जैसी हूँ, मुझे वैसी ही क्यों नहीं रहने देते! मैं किसी से शादी नहीं करूँगी। मैं पापा के पास रहूँगी। शादी को मेरा मन नहीं कहता, मैं क्यों करूँ? तुम गुस्सा मत हो, दुखी मत हो, तुम आज्ञा दोगे तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ, लेकिन हत्या करने से पहले यह तो देख लो कि मेरे हृदय में क्या है?"

पम्मी आधुनिक ज़माने की युवती है। पम्मी के माध्यम से भारती जी ने समाज की घिनौनी सच्चाइयों को आवाज दी है। उसके वाक्यों के माध्यम से लेखक ने जाने कितनी सच्चाइयों को कह डाला है। उसके लिए प्रेम की परिणति संबंधों में ही हो सकती है, वह कहती भी है कि, "मैं जानती थी कि हम दोनों के संबंधों में प्रारंभ से इतनी विचित्रताएं थीं कि हम दोनों का संबंध स्थायी नहीं रह सकता था, फिर भी जिन क्षणों में हम दोनों एक ही तूफान में फंस गए थे, वे क्षण मेरे लिए मूल्य निधि रहेंगे।" उसके और चन्दर के संबंधों में किसी प्रकार के आदर्शों का स्थान नहीं था। और शायद इसीलिए चन्दर और पम्मी के संवाद आदमी की मन:स्थिति, आदर्श और व्यवहारिकता में द्वंद्व को बहुत अच्छे से पेश करते हैं।

पूरी पुस्तक में संवाद सराहनीय हैं। प्रेम की अलग अलग परिस्थितयों के द्योतक हैं और उन स्थितियों का मानसिक विश्लेषण भी करते हैं। एक मध्यम वर्ग की दुविधाओं को भारती जी ने अपनी कलम के माध्यम से बहुत ही खूबसूरती से कागज पर उकेरा है। घटनाओं का चुनाव बहुत ही सावधानी से किया गया है। ऐसी विचारोत्तेजक और कालजयी रचना दशकों में एक बार ही आती है।

नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके, आप लिखित पुस्तक गुनाहों का देवता  पीडीएफ में डाउनलोड कर सकते हैं।


Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

गुनाहों का देवता | Gunaho Ka Devta PDF

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

धर्मवीर भारती / Dharamveer Bharati

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

Hindi

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

3 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 214

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

उपन्यास / Novel


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