अथर्ववेद संहिता | Atharvaveda Sanhita in Hindi

अथर्ववेद संहिता  | Atharvaveda Sanhita in Hindi
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 Atharvaveda Sanhita in Hindi : अथर्ववेद संहिता  के बारे में और अधिक जानकारी

अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के राज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता है

अथर्ववेद का ज्ञान भगवान ने सबसे पहले महर्षि अंगिरा को दिया था, फिर महर्षि अंगिरा ने वह ज्ञान ब्रह्मा को दिया |


यस्य राज्ञो जनपदे अथर्वा शान्तिपारगः।

निवसत्यपि तद्राराष्ट्रं वर्धतेनिरुपद्रवम्।।


चरणव्यूह ग्रंथ के अनुसार अथर्वसंहिता की नौ शाखाएँ हैं-

१. पैपल, २. दान्त, ३. प्रदान्त, ४. स्नात, ५. सौल, ६. ब्रह्मदाबल, ७. शौनक, ८. देवदर्शत और ९. चरणविद्या


  • पुस्तक का नाम/ Name of Book :अथर्ववेद संहिता  | Atharvaveda Sanhita 
      • पुस्तक के लेखकAuthor of Book :*****
      • श्रेणी / Categories : वेद, हिंदू, धर्म

      • पुस्तक की भाषा / Language of Book हिंदी /hindi




       

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