रुद्राष्टाध्यायी इन हिंदी | Rudrashtadhyayi PDF Download Free
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In the Shiv Purana, on the question of Sanakadi sages, Shiva himself has told the greatness of Abhishek through the mantras of Rudrashtadhyayi, has praised the bountiful and has given great results. The scholars of theology have fixed the six parts of Rudrashtadhyayi, accordingly, the first chapter of Rudrashtadhyayi has the heart of Shivasakkalpasukta. The Purushasukta of Dwitiyadhyay is the head and the Uttarnarayanasukta is the crest. Tritidhyayaka is called Apritirathsukta Kavach, Chaturtadhyayaka Maitrasukta is the eye and Panchamadhyayaka is called Shatrudriyasukta Astra. Just as a warrior equips his limbs and weapons in battle, in the same way a spiritual leader is equipped for the recitation and empowerment of Rudrashtadhyayi. Therefore, the names of the heart, head, crest, armor, eyes, weapons, etc. are visible.
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प्रस्तुत पुस्तक 'वेदोऽखिलो धर्ममूलम्'- श्रीमनु महाराजके कथनानुसार भगवान् वेद सर्वधर्मोके मूल हैं या सर्वधर्ममय हैं। वेदों एवं उनकी विभिन्न संहिताओं में प्रकृतिके अनेक तत्त्वों- आकाश, जल, वायु, उषा, संध्या इत्यादिके तथा इन्द्र, सूर्य, सोम, रुद्र विष्णु आदि देवोंके वर्णन और स्तुति-सूक्त प्राप्त होते हैं। इनमें कुछ ऋचाएँ निवृत्तिप्रधान एवं कुछ प्रवृत्तिप्रधान हैं। शुक्लयजुर्वेद संहिता के अन्तर्गत 'रुद्राष्टाध्यायी के रूपमें भगवान् रुद्रका विशद वर्णन निहित है। भक्तगण इस रुद्राष्टाध्यायीके मन्त्रपाठके साथ जल, दुग्ध, पञ्चामृत, आम्ररस, इक्षुरस, नारिकेलरस, गङ्गाजल आदिसे शिवलिङ्गका अभिषेक करते हैं।
शिवपुराण में सनकादि ऋषियों के प्रश्नपर स्वयं शिवजी ने रुद्राष्टाध्यायी के मन्त्रों द्वारा अभिषेक का माहात्म्य बतलाया है, भूरि भूरि प्रशंसा की है और बड़ा फल बताया है। धर्मशास्त्र के विद्वानोंने रुद्राष्टाध्यायीके छः अङ्ग निश्चित किये हैं, तदनुसार रुद्राष्टाध्यायीके प्रथमाध्यायका शिवसङ्कल्पसूक्त हृदय है। द्वितीयाध्यायका पुरुषसूक्त सिर एवं उत्तरनारायणसूक्त शिखा है। तृतीयाध्यायका अप्रतिरथसूक्त कवच है, चतुर्थाध्यायका मैत्रसूक्त नेत्र है एवं पञ्चमाध्यायका शतरुद्रियसूक्त अस्त्र कहलाता है। जिस प्रकार एक योद्धा युद्धमें अपने अङ्गों एवं आयुधोंको सुसज्ज - सावधान करता है, उसी प्रकार अध्यात्ममार्गी सा रुद्राष्टाध्यायीके पाठ एवं अभिषेकके लिये सुसज्ज होता है। अतः हृदय, सिर, शिखा, कवच, नेत्र, अस्त्र इत्यादि नामाभिधान दृष्टिगोचर होते हैं। rudrashtadhyayi book pdf, सरल रुद्राष्टाध्यायी pdf Download, संपूर्ण रुद्राभिषेक पाठ Pdf, रुद्राष्टाध्यायी पाठ PDF, संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत, संपूर्ण रुद्राभिषेक पाठ PDF Download, सम्पूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ , Rudrashtadhyayi PDF in Hindi.
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