गरुण पुराण पीडीऍफ़ इन हिंदी | Garun Puran PDF in Hindi Free

गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा पीडीऍफ़ इन हिंदी


गरुण पुराण | Garun Puran
गरुण पुराण


Garun Puran Hindi Book in PDF Download

The Garuda Purana has an important place in the Puranas, because first and foremost Lord Vishnu had narrated this 'Garuda Mahapuran', which tells the essence and great meaning of all the scriptures to the God Deveshwar, Lord Rudradev, including Brahma and other gods.

Once, in the context of pilgrimage, Mahatma Sutji, a well-versed in all scriptures, came to Naimiyaranya, there Shaunkadi sages worshiped him and asked some questions in the form of curiosity. In resolving the questions, Sutji narrated the story of Garuda Mahapuran to those sages and sages. Sutji had heard this story from Lord Vyasji, Vyasji received this story from Father Brahma. In fact, originally this Mahapuran was narrated by Gardji to Rishi Kashyap.

In ancient times, Pakshiraj Garud worshiped Lord Vishnu through penance on earth, so that the Lord, being satisfied, asked him to ask for the desired boon. Garuda requested the Lord that the serpents have made my mother Binata a slave. Hey, God! May you be pleased and grant me this boon that I may be able to obtain nectar by winning them and free the mother of the serpents from the bondage of Kadu. May I become your vehicle and be able to destroy the serpents and as the author of the Puranahita. Please do the same.

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पुराणों में गरुड़ पुराण का महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि सर्वप्रथम पर ब्रह्म परमात्मा प्रभु साक्षात् भगवान विष्णु ने ब्रह्मादि देवताओंसहित देव देवेश्वर भगवान् रुद्रदेवको सभी शास्त्रोंमें सारभूत तथा महान् अर्थ बताने वाले इस 'गरुडमहापुराण'को सुनाया था।

एक बार तीर्थ यात्रा के प्रसंग में सर्व शास्त्र पारंगत शान्तचित्त महात्मा सूतजी नैमियारण्यमें पधारे, वहाँ शौनकादि ऋषि- मुनियोंने उनकी पूजा की और जिज्ञासारूपमें कुछ प्रश्न भी किये। प्रश्नोंके समाधानमें सूतजीने गरुडमहापुराणको कथा उन ऋषि-महर्षियोंको सुनायी। सूतजी ने यह कथा भगवान् व्यासजीसे सुनी थी, व्यासजीको यह कथा पितामह ब्रह्मासे प्राप्त हुई। वास्तवमें मूलरूपसे इस महापुराणको गरडजीने कश्यप ऋषिको सुनाया था।

प्राचीनकालमें पृथ्वोपर पक्षिराज गरुडने तपस्याके द्वारा भगवान् विष्णुको आराधना की, जिससे संतुष्ट होकर प्रभुने अभीष्ट वर माँगनेके लिये कहा। गरुड़ने भगवान्मे निवेदन किया कि नागोंने मेरी माता बिनताको दासी बना लिया है। हे देव! आप प्रसन्न होकर मुझे यह वरदान प्रदान करें कि मैं उनको जीतकर अमृत प्राप्त करने में समर्थ हो सके और माँको नागोंकी माता कदुको दासतासे मुक्त करा सक। मैं आपका वाहन बने और नागोंको विदीर्ण करने में समर्थ हो सक तथा जिस प्रकार पुराणहिताका रचनाकार हो सकूँ. वैसा ही करने की कृपा करें।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

गरुण पुराण | Garun Puran

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

वेदव्यास / Vedvyas

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  30 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 266

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

Ved-Puran


 

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