असुर पराजितों की गाथा pdf | Asur: Parajiton Ki Gatha PDF Download

असुर पराजितों की गाथा pdf | Asur: Parajiton Ki Gatha PDF Download

 असुर पराजितों की गाथा pdf | Asur: Parajiton Ki Gatha PDF Download

नंबर 1 राष्ट्रीय बेस्टसेलर रहे अंग्रेज़ी उपन्यास के इस हिन्दी अनुवाद में लंकापति रावण व उसकी प्रजा की कहानी सुनाई गई है। यह गाथा है जय और पराजय की, असुरों के दमन की — एक ऐसी कहानी की जिसे भारत के दमित व शोषित जातिच्युत 3000 वर्षों से सँजोते आ रहे हैं। रामायण के उलट, रावणायन की कथा अब तक कभी नहीं कही गई। मगर अब शायद मृतकों और पराजितों के बोलने का वक़्त आ गया है।
रावण को दस शीश वाले व्यक्ति के रूप में क्यों दर्शाया जाता है?

यद्दपि, एक सर्वोच्च खलनायक के रूप में दस शीश तथा भुजाओं वाले रावण से, प्रत्येक भारतीय तथा भारतीय पौराणिक गाथाओं का विद्वान परिचित है। परंतु बहुत कम व्यक्ति ही ऐसे हैं, जो यह जानते हैं कि उसे इस रूप में क्यों दर्शाया जाता है। पारंपरिक भारतीय विवेक तथा प्रज्ञा, व्यक्ति के भावों पर नियंत्रण को महत्त्व देते हैं और बुद्धि को श्रेष्ठ सत्ता के रूप में वर्णित किया जाता है।

महान नरेश महाबलि, रावण को परामर्श देते हैं कि वह क्रोध; अभिमान; ईष्ष्या; प्रसन्नता; उदासी; भय; स्वार्थपरकता; आवेग तथा महत्त्वाकांक्षा जैसे नौ आधारभूत भावों को त्याग कर, केवल बुद्धि को ही प्रश्रय दे, आदर-मान दे। भारतीय आध्यात्मिक गुरूओं ने भी सदैव अपने 'स्व' से ऊपर उठने तथा आत्मा के विकास के लिए, इन भावों को हानिकारक माना है।

परंतु, महाबलि को प्रत्युत्तर देते हुए, रावण तर्क देता है कि इन सभी दस भावों को संपूर्ण रूप से अपना कर ही वह एक संपूर्ण मनुष्य बना है। इस प्रकार पौराणिक गाथाओं में रावण को दस सिरों वाला दर्शाया जाता है, जबकि उसकी बीस भुजाएँ उसकी शक्ति तथा बल का प्रतीक हैं। रावण स्वयं को एक संपूर्ण मनुष्य के प्रतीक के रूप में देखता है; वह स्वयं को किसी भी प्रकार के पवित्र छद्मावरण अथवा सामाजिक व धार्मिक वर्जना में नहीं बाँधता। वह किसी भी साधारण मनुष्य की ही भाँति भला व बुरा है, जैसा कि प्रकृति मनुष्य को बनाना चाहती है। समाज उसके नौ अन्य मुखों पर प्रतिबंध लगाने में असफल रहा, जैसा कि राम के विषय में किया गया है। इस प्रकार राम को ईश्वर के रूप में देखा जा सकता है, परंतु रावण कहीं अधिक संपूर्ण मनुष्य है। हमारे महाकाव्यों ने रावण के दस सिरों को, ऐसे व्यक्ति के प्रतीक के रूप में लिया है, जो अपने अनियंत्रित आवेगों सहित - जीवन के रसास्वादन तथा आलिंगन के लिए प्रस्तुत है - समग्र रूप से।


पुस्तक का नाम/ Name of Book : असुर / Asur: Parajiton Ki Gatha
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :    आनंद नीलकंठन / Anand Neelakantan
श्रेणी / Categories :  धार्मिक
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 5.1 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 444


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