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विजयनगर- साम्राज्य का इतिहास : डॉ. रामप्रसादत्रिपाठी | Vijaynagar samrajya Ka Itihas by - Dr. Ramprasad Tripathi
विजयनगर साम्राज्य का इतिहास | Vijaynagar Samrajya Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :
किसी देश की संस्कृति उस देश के इतिहास में सन्निहित रहती है । अतएव उस देश की सभ्यता तथा सस्कृति का अनुशीलन करने के लिए हमें उसका इतिहास जानना आवश्यक है। जब तक रोम और ग्रोस के पुरातन इतिहास का अध्ययन न किया जाय तब तक उसकी महत्ता का परिचय प्राप्त करना अत्यन्त कठिन है। ठीक यही दशा भारतवर्ष की भी है। यदि हमे अपने प्राचीन गौरव को जानना है तो हमे प्राचीन इतिहास पर दृष्टिपात करना नितान्त आवश्यक है ।
भारत में समय-समय पर अनेक साम्राज्य स्थापित हुए। वे उन्नति को पराकाष्ठा पर पहुंचे और अन्त मे काल के गाल में सदा के लिए विलीन हो गये। इन में कुछ ऐसे भी साम्राज्य हैं जिनका नाम केवल कथा-शेष रह गया है और जिनके अतुल वैभव तथा कला- कौशल की स्मृति वे खण्डहर दिलाते हैं जो समय के थपेडे को सहकर भी आज अपना सिर उठाये खड़े हैं। बिजयनगर का साम्राज्य इन्ही साम्राज्यों में से एक है। इस साम्राज्य की महत्ता क्या थी तथा इसको भारतीय इतिहास मे क्यो इतना महत्त्व दिया जाता है इसका वर्णन अगले पृष्ठों में पाठकों को मिलेगा । परन्तु यहा तो मुझे केवल इतना ही कहना है कि हिन्दू-साम्राज्य के प्रतिष्ठापक तथा हिन्दू-सस्कृति के रक्षक ये विजयनगर सम्राट न होते तो आज हमारी सस्कृति का नाम भी न रहता । सच तो यह है कि दक्षिण भारत में भारतीय संस्कृति को बचाने का श्रेय इन्हीं राजाओ को प्राप्त है।
यह अत्यन्त दुःख का विषय है कि आज से केवल पचास वर्ष पूर्व इन महाप्रतापी राजाओं का कोई नाम भी नहीं जानता था । भारतीय जनता इनको भूल चुकी थी और विजयनगर का महान् साम्राज्य 'एक भूला हुआ साम्राज्य' समझा जाने लगा था। इनकी पवित्र स्मृति को याद दिलान-- बाले हम्पी के वे टूटे-फूटे खण्डहर थे जो मृत्यु के मुख में जाने की प्रतीक्षा मे खड़े थे । परन्तु सर्व प्रथम इस महान् साम्राज्य के इतिहास की ओर ई० सेवेल नामक विद्वान् का ध्यान आकर्षित हुआ जिन्होंने अपनी सुप्रसिद्ध प्रामाणिक पुस्तक ए फारगाटेन इम्पायर' लिखकर इस साम्राज्य को प्रकाश में लाने का प्रशसनीय कार्य किया । सेवेल की पुस्तक का नामकरण यथार्थ ही था। सेवेल के पश्चात् दक्षिणी भारत के ऐतिहासिको का ध्यान इस ओर आकृष्ट हुआ और उन लोगो ने लगन के साथ इसका अध्ययन करना प्रारम्भ किया । इन विद्वानों मे डा. कृष्णस्वामी, डा. सालातोर तथा फादर हेरास का नाम उल्लेखनीय है । इन विद्वानो ने इस साम्राज्य के इतिहास पर प्रामाणिक पुस्तके लिखी हैं और इनकी शिष्य-मण्डली भी इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है । परन्तु यह सचमुच हमारे दुर्भाग्य की बात है कि राष्ट्रभाषा हिन्दी में इस विषय पर एक भी पुस्तक अभी तक नही लिखी गई । विजयनगर का यह प्रस्तुत इतिहास इसी अभाव की पूर्ति करने का एक विनम्र प्रयास है इस ग्रन्थ मे विजयनगर साम्राज्य के राजनैतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास का सक्षिप्त तथा प्रामाणिक विवेचन किया गया है ।
पुस्तक का नाम/ Name of Book : विजयनगर- साम्राज्य का इतिहास | Vijaynagar samrajya Ka Itihas
पुस्तक के लेखक/ Author of Book : डॉ. रामप्रसादत्रिपाठी - Dr. Ramprasad Tripathi
श्रेणी / Categories : इतिहास / History,
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 10.98 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 318
॥ सूचना ॥
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