धम्मपद | DHAMMAPAD - PALI AND HINDI PDF

 

धम्मपद | DHAMMAPAD

DHAMMAPAD Hindi Book in PDF Download

If you ever have a desire to make one book and only one book as your companion for life, then it is difficult to find another book in the library of the world than the Dhammapada.

Just as the Bhagavad-gita is a small but valuable work in the Mahabharata, similarly the Dhammapada is a small but valuable gem in the Tripitaka. In terms of time, the Dhammapada is more ancient than the Bhagavad Gita.

The specialty of the Bhagavad Gita is the attempt to coordinate many philosophical ideas; That is why there is difference of opinion among the commentators of the Gita; But ghammapada is only one path, only one education. The ideal of the traveler of that path is fixed. It is perhaps worthwhile to note that despite being older than the Gita, there is only one commentary on the Dhammapada - the Dhammapada Attakatha, and the Bhagavad Gita has as many different commentaries as the scholars. Like the Bhagavad Gita, the Dhammapada has a great propaganda. In ancient times it has been translated into languages ​​like Chinese, Tibetan etc. In the present period, there have been many translations in all the civilized languages ​​of the world in English, German, etc.

By clicking on the link given below, you can download the written book DHAMMAPAD in PDF.

धम्मपद पीडीएफ में डाउनलोड करे 

एक पुस्तक को और केवल एक पुस्तक को जीवन भर साथी बनाने की यदि कभी आपकी इच्छा हुई है तो विश्व के पुस्तकालय में आपको धम्मपद से बढ़कर दूसरी पुस्तक मिलनी कठिन है।

जिस प्रकार महाभारत में भगवद्गीता एक छोटी किन्तु मूल्य कृति है, उसी प्रकार त्रिपिटक मे धम्मपद एक छोटा किन्तु मूल्यवान् रत्न है । काल की दृष्टि से भगवद्गीता की अपेक्षा धम्मपद प्राचीन तर है ।

भगवद्गीता की विशेषता है, कई दार्शनिक विचारों के समन्वय का प्रयत्न; इसीलिए गीता के टीकाकारों में आपस मे मतभेद है; लेकिन घम्मपद एक ही मार्ग है, एक ही शिक्षा है। उस पथ के पथिक का आदर्श निश्चित है। यह बात शायद सार्थक है कि गीता की अपेक्षा प्राचीनतर होते हुए भी धम्मपद की केवल एक टीका- धम्मपद अट्टकथा उपलब्ध है, और भगवद्गीता की है जितने पण्डित उतनी भिन्न-भिन्न टीकाएँ । भगवद्गीता की तरह धम्मपद का बड़ा प्रचार है। प्राचीन काल मे चीनी, तिब्बती आदि भाषाओं में इसके अनुवाद हुए हैं। वर्तमान काल में संसार की सभी सभ्य भाषाओं में अँगरेज़ी, जर्मन, आदि में कई कई अनुवाद हो चुके हैं।

नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके, आप लिखित पुस्तक धम्मपद हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।


Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

धम्मपद | DHAMMAPAD

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

भदंत आनंद कौसल्यायन / Bhadant Aanand Kausalyayan

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  5 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 136

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

धार्मिक / Religious


 


 


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