प्रतिहार राजपूतों का इतिहास | Pratihar Rajputo Ka Itihas PDF Download Free by Ramlakhan Singh

 

प्रतिहार राजपूतों का इतिहास | Pratihar Rajputo Ka Itihas

Pratihar Rajputo Ka Itihas Hindi Book in PDF Download

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Every nation and caste has a history in which its rise and fall are accounted for. Through this history, a country or caste keeps itself safe from future evils. Thus history acts as a guide. Heroes like Abhimanyu and Shivaji were taught this since childhood. That is why a scholar named Koli states that History is the first thing that should be given to children in order to form their hearts and understanding. During the study, I came to know that in the published histories of Chahman Chauhan Chandel, Kalchuri Parmar, and Gurjar Pratihars, their imperial era has been discussed in detail, but their later history has been completely disregarded. The same fact came to the fore in relation to Pratihar Parihar, the first book to throw light on history, which was written by Shri Krishna Singh in V.C. [1956 11899 AD]. This book was published from Jodhpur. After that Munshi Devi Prasad published the book. It was printed from Granyapur in 1911 (1854 AD). As far as possible, scattered material related to the history and culture of Pratihars has been collected in the present book. We hope that scholars interested in Pratihar history and Sudhi readers will benefit from this.

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इतिहास शब्द इति इह आसीत से बना है, जिसका अर्थ है ऐसा हुआ। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में पुराण, इतिबूत, आख्यायिका, उदाहरण, धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र को इतिहास माना गया है। कालान्तर में इसमें महाभारत भी जोड़ दिया गया। इसी प्रकार प्राचीन भारत में महाभारत, पुराण, धर्मशास्त्र आदि के रूप में इतिहास को इतना सरल और रुचिकर बनाया गया था कि प्राया सभी लोग उपर्युक्त ग्रन्थों का न्यूनाधिक ज्ञान रखते थे। भारत में आज भी पुराण और महाभारत सुनने की परम्परा अनवरत रूप से प्रचलित है। सुधी जन भागवतपुराण आदि का वाचन रुचिपूर्वक सुनते हैं। कुछ समय पहले तक यह सन्देह व्यक्त किया जाता था कि पुराणों में वर्णित पटनाएं यहीं नहीं है। उदाहरण के लिए भागवतपुराण में लिखा है कि कृष्ण की द्वारका समुद्र में इस गई थी। इस घटना पर अधिकांश लोग विश्वास नहीं करते थे। किन्तु जब से श्री एस०आर० राथ ने अरब सागर में डूबी द्वारा खोज ली है, तब से पुराणों में वर्णित घटनाओं पर विश्वास किया जाने लगा है।

प्रत्येक देश और जाति का इतिहास होता है जिसमें उसके उत्कर्ष और अपक का लेखा-जोखा होता है। इसी इतिहास के माध्यम से कोई देश अथवा जाति भविष्य में आने वाली बुराइयों से स्वयं को सुरक्षित रखती है। इस प्रकार इतिहास पथ प्रदर्शक का काम करता है। अभिमन्यु और शिवाजी जैसे वीरों को बचपन से ही इसकी शिक्षा दी गई थी। इसीलिए कोली नामक विद्वान का कथन है कि History is the first thing that should be given to children in order to form their hearts and understanding"इतिहास में प्रारम्भ से ही मेरी रुचि रही है।  प्रतीहारों के इतिहास की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए मेरी तीव्र लालसा जाग उठी। अध्ययन के दौरान मुझे ज्ञात हुआ कि चाहमान चौहान चन्देल, कलचुरि परमार और गुर्जर प्रतीहारों के जो इतिहास प्रकाशित हैं उनमें उनके साम्राज्यवादी युग की तो विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है, किन्तु उनके परवर्ती इतिहास की पूर्णतया अवहेलना की गई है। गुर्जर प्रतिहारों के सम्बन्ध में भी यही तथ्य सामने आया प्रतीहार परिहार इतिहास पर प्रकाश डाल वाला पहला ग्रन्य मंश मास्कर है जिसे श्री कृष्णा सिंह ने वि० स० [1956 11899 ई०) में लिखा था। यह ग्रंथ जोधपुर से प्रकाशित हुआ। तत्पश्चात् मुंशी देवी प्रसाद ने प्रकाश की रचना की। यह ग्रन्यापुर से 1911 (1854 ई०) में छपा।जहाँ तक संभव हो सका है प्रस्तुत ग्रंथ में प्रतीहारों के इतिहास और संस्कृति सम्बन्धी बिखरी सामग्री एकत्र कर दी गई है। हमें आशा है कि प्रतीहार इतिहास में रुचि रखने वाले विद्वान और सुधी पाठक इससे लाभान्वित होंगे।Pratihar Rajputo Ka Itihas Pdf Download free, प्रतिहार राजपूतों का इतिहास पीडीऍफ़ डाउनलोड करें , Books By Singh, Ramlakhan, Singh, Ramlakhan की किताबें डाउनलोड करें , Pratihar Rajputo Ka Itihas book in hindi free download, प्रतिहार राजपूतों का इतिहासहिंदी में डाउनलोड करें फ्री

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

प्रतिहार राजपूतों का इतिहास | Pratihar Rajputo Ka Itihas

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

रामलखन सिंह / Ramlakhan Singh

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  11 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 401

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

इतिहास / History


 


 


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