योगेश्वर कृष्ण: हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Yogeshwar Krishna PDF Book Download

 

योगेश्वर कृष्ण | Yogeshwar Krishna PDF


Yogeshwar Krishna Book in PDF Download

Yogeshwar Krishna Pdf Download free, yogeshwar krishna pdf free download, yogeshwar krishna pdf download, yogeshwar krishna pdf in hindi, yogeshwar krishna pdf file, yogeshwar krishna pdf book. "O heavy load (Shri Krishna)! What a great miracle of your grace that from today (the whole) India is under my control."
The Magha poet has addressed Shri Krishna in these words to Yudhishthira in Shishupalvadh. "Carry the heavy load!" It has a special meaning. The burden of Yudhishthira's empire was actually on the shoulders of Shri Krishna. Keeping this sentiment in mind, the poet has used this adjective very eloquently. But even the commentator did not understand this point. The burden of "Vishvambharatva" has been imposed on Shri Krishna, not of the kingdom of India. In front of the poet, the "minister" of Yudhishthira, the creator of the Pandava kingdom, the "superior man" of the Mahabharata was Shri Krishna. In the eyes of the commentator, the incarnation of Vishnu was the Supreme God. Vishwambhar Shri Krishna. Which sense has more timely justification, in which "weight", more timely "gravity", more, episodic "glory" from the point of view of natural thanksgiving, understand yourself and enjoy the heart of literature. Kaushal "Udhgurubhar!" is in this brief address. In this short verse of six letters, the whole essence of the life of Shri Krishna has come. The story of Mahabharata begins with the troubled birth of the Pandavas and their thorny childhood and youth rife with objections. According to the limit of Indian poets by describing that the poet's composition should always be happy, it ends with the establishment of Yudhishthira's empire over the whole of India. Yudhishthira's Ashwamedha is the occasion of the happy ending of Mahabharata. Itishree: It has happened.

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"हे भारी भार सँभाले ( श्रीकृष्ण ) ! आपकी कृपा का यह कितना बड़ा चमत्कार है कि आज से (सारा) भारतवर्ष मेरे अधिकार में है ।"

माघ कवि ने शिशुपालवध में युधिष्ठर से श्रीकृष्ण को इन शब्दों में संबोधित कराया है। "भारी भार सँभाले !" यह विशेष अर्थ गर्भित है । युधिष्ठर के साम्राज्य का भार वस्तुत: श्रीकृष्ण ही के कन्धों पर था। कवि ने इसी भाव को लक्ष्य में रखकर इस विशेषण का अत्यन्त भावपूर्ण प्रयोग किया है । परन्तु इस इंगित को समझा टीकाकार भी तो नहीं। उ श्रीकृष्ण पर भारत के साम्राज्य का नहीं, “विश्वंभरत्व" का भार लाद दिया है। कवि के सम्मुख युधिष्ठर का "मन्त्री",पाण्डव साम्राज्य का निर्माता, महाभारत का " श्रेष्ठ पुरुष" श्रीकृष्ण था । टीकाकार की आँखों में विष्णु का अवतार साक्षात् परमेश्वर विश्वम्भर श्रीकृष्ण । किस भाव का सामयिक औचित्य अधिक है, किस "भार" में, स्वाभाविक धन्यवाद के उद्गारों की दृष्टि से अधिक समयोचित "गुरुता", अधिक , प्रकरणोचित "गौरव" है, साहित्य के सहृदय मर्मज्ञ स्वयं समझें और आनन्द लें । कवि का कौशल " ऊढगुरुभार !" इस संक्षिप्त से सम्बोधन में है। इस छः अक्षर की छोटी सी पदावली में श्रीकृष्ण के जीवन का सारा सार आ गया है । महाभारत की कथा पाण्डवों के संकटमय जन्म से आरंभ होती है और उनके कण्टकाकीर्ण बालकाल तथा आपत्तियों से व्याप्त युवावस्था का वर्णन कर भारतीय कवियों की इस मर्यादा के अनुसार कि कवि की रचना सदा सुखान्त ही होनी चाहिए, सम्पूर्ण भारतवर्ष पर युधिष्ठिर के साम्राज्य की स्थापना के साथ समाप्त हो जाती है। महाभारत की सुखान्त समाप्ति का अवसर युधिष्ठिर का अश्वमेध है। वास्तविक कहानी की यहीं इतिश्री: हुई है । योगेश्वर कृष्ण Pdf Download free, योगेश्वर कृष्ण पीडीऍफ़ डाउनलोड करेंयोगेश्वर कृष्ण हिंदी में डाउनलोड करें फ्री.

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Particulars

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 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

 योगेश्वर कृष्ण | Yogeshwar Krishna PDF 

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

 चमूपति / Chamupati

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  17 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 397

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

 इतिहास / History,जीवनी / Biography

 


 


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