Shodh Pravidhi Book in PDF Download
What is research?
Research, search, research, investigation, research are all synonyms in Hindi. This is called revision in Marathi and research in English. In the search, there is a feeling of knowing the unknown, not of a completely new creation. Man, being an intelligent being, has been inquisitive from his conscious state. He has been eager to know 'Aham' (soul), 'Idam' (creation or world) and 'Sa' (Brahm, Paramatma). Why is he in the world? Why is the world Who is going to bring me and the world here? Questions like what is the relation between me and the world, etc., continue to shake him. His thirst for knowledge was never satisfied. It is this gratification that has continuously increased the knowledge-wealth of human beings by giving facts to many physical and spiritual mysteries. Much knowledge is readily perceptible and there is some which is not readily perceptible, but its existence cannot be completely denied. In Shakespeare's Hamlet, Hamlet's friend Horatio's head spins when Hamlet's father appears in a phantom form and the scene seen to him seems unnoticed. says-
"O day and night, but this is wonderous strange" (Fan, O night, what is it? Then calmly explains to the friend-
"And therefore as a stranger, give it welcome. There are more things in the heaven and earth, Horatio, than are dream of in your philosophy"
(So welcome this wonder also, there are many such things on earth and sky, Horatio, which your 'philosophy' would never have imagined.) That is to say that there is scope for research in various fields.
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प्रस्तुत पुस्तक शोध क्या है ?
शोध, खोज, अनुसंधान, अन्वेषण, गवेषणा सभी हिन्दी में पर्यायवाची शब्द हैं। इसी को मराठी में संशोधन और अंग्रेजी में रिसर्च कहते हैं। खोज में सर्वथा नूतन सृष्टि का नहीं, अज्ञात को ज्ञात करने का ही भाव है। मनुष्य बुद्धिसम्पन्न प्राणी होने के कारण अपनी सचेतावस्था से ही जिज्ञासु रहा है । वह 'अहम्' (आत्मा), 'इदम्' ( सृष्टि या जगत्) और 'स' (ब्रह्म, परमात्मा ) को जानने के लिए पर्युत्सुक रहा है। जगत् में वह क्यों है ? जगत् ही क्यों है ? मुझे और जगत् को यहाँ लाने वाला कौन है ? मेरा और जगत् का परस्पर क्या सम्बन्ध है, आदि प्रश्न उसे झकझोरते जा रहे हैं। उसकी ज्ञान की पिपासा कभी तृप्त नहीं हुई। उसकी इसी अतृप्ति ने अनेक भौतिक तथा आध्यात्मिक रहस्यों को तथ्य रूप प्रदान कर मानव की ज्ञान-संपदा में लगातार अभिवृद्धि की है। बहुत सा ज्ञान सहज इंद्रियगम्य है और कुछ ऐसा भी है जो सहज इंद्रियगम्य नहीं है, परन्तु उसके अस्तित्व को एकदम नकारा भी नहीं जा सकता। शेक्सपियर के 'हेमलेट' नाटक में जब हेमलेट का पिता प्रेत रूप में प्रकट होकर बातें करने लगता है तो हेमलेट के मित्र होरेशियो का सिर घूम जाता है, उसे देखा दृश्य अनदेखा लगता है। कहता है—
"O day and night, but this is wonderous strange" (fan, हे रात, यह है क्या ? यह तो चमत्कारपूर्ण आश्चर्य है।) हेमलेट भी प्रेतदर्शन से पहले तो चौंकता है। फिर सँभलकर मित्र को समझाता है—
"And therefore as a stranger, give it welcome. There are more things in the heaven and earth, Horatio, than are dreamt of in your philosophy"
( इसलिए इस आश्चर्य का भी स्वागत करो, धरती और आसमान पर ऐसी अनेक वस्तुएँ हैं होरेशियो, जिनकी तुम्हारे 'दर्शन' ने कभी कल्पना भ नहीं की होगी । ) कहने का तात्पर्य यह है कि अनुसंधान के लिए विभिन्न क्षेत्रों में गुंजाइश पाई जाती है।।
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