Ayurved Darasan Book in PDF Download
Just as all the sciences of the world have their separate existence on a specific type of classification of Bhava, natures or other types of personality, in the same way Ayurveda also maintains its separate existence. In this Ayurveda philosophy, every effort has been made to know only the philosophical principles of Ayurveda. One reason for this trend is that while practicing the philosophical laws of Ayurveda historically, the past events are being illuminated and in the future. It is possible to read them, if they are considered, then not only Ayurvedic but many complications of the entire history of science can be easily solved.
Each philosophy generally has two propounded themes; Creation Science and Spirituality | In respect of these two it can be said generally that the subject of creation science is to think primarily of the productive destructive substances of the conscious unconscious substances or to feel the existence of the Atman, Virat Purush, or Brahman in the bottom of them. It should also be kept in mind here that the human intellect first practiced the science of creation and then the spirituality.
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आयुर्वेद दर्शन पीडीएफ में डाउनलोड करे
प्रस्तुत पुस्तक संसार के समस्त विज्ञान, जिस तरह भाव स्वभावों के विशिष्ट प्रकार के वर्गीकरण पर अथवा अन्वर्य व्यतिरेक पर अपना पृथक् अस्तित्व रखते हैं उस तरह आयुर्वेद भी अपना पृथक् अस्तित्व " रखता है। दूसरी भाषा में आयुर्वेद का तंत्र उसके विशिष्ट प्रकार के दार्शनिक सिद्धांत पर अवलंबित है। इस आयुर्वेद दर्शन में आयुर्वेद के दार्शनिक सिद्धान्त को ही जानने का यथामति यत्न किया गया है। इस प्रवृत्ति का एक कारण यह भी है कि आयुर्वेद के दार्शनिक विधानों का ऐतिहासिक दृष्टि से अभ्यास करते हुए जिन अतीत घटनाओं पर प्रकाश पड रहा है और भविष्य में पडना संभव है उन पर यदि विचार किया जाय तो केवल आयुर्वेदिक ही नही बल्कि समस्त आर्ष विज्ञानेतिहास की कई उलझने सरलता से -सुलझ सकती हैं ।
प्रत्येक दर्शन के सामान्यतः दो प्रतिपाद्य विषय होते हैं; सृष्टि विज्ञान और अध्यात्म | इन दोनों के विषय में सामान्यतः यह कहा जा सकता है कि सचेतन अचेतन द्रव्यों के उत्पादक विनाशक पदार्थों का अथवा द्रव्यगुण कमों का प्रधानतया विचार करना सृष्टिविज्ञान का विषय है और इनकी तह में आत्मा, विराट्पुरुष, या ब्रह्म के अस्तित्व का अनुभव करना अध्यात्म का। यहां यह भी ध्यान में · रखना चाहिये कि मानुषी बुद्धि ने प्रथम सृष्टिविज्ञान का अभ्यास किया और इसके बाद अध्यात्म का।
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आयुर्वेद दर्शन | Ayurved Darasan PDF | |
Hindi | |
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