सामुद्रिक शास्त्र इन हिंदी | Samudirk Shastra PDF Download Free
Samudirk Shastra Book in PDF Download
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There are two basic reasons for the decline. The first reason is that there is no such school in the country where there is proper arrangement for its initiation. The upliftment of any knowledge is not possible until the government provides full means of its spread and discovery. It has no importance in the curriculum of the country, so even the curious people are deprived of the means of acquiring its knowledge. Their knowledge remains incomplete and because they are not chain-bound, their knowledge is of no importance. The neglect of governance, which has been accompanying this particular discipline for centuries, has become the main reason for its decline
The second reason is the disregard for this knowledge of the public. The general public understands it only as the knowledge of the pundits who make the birth certificate and Bhadrau who asks for oil on Saturdays. It is also true that both these categories of people have done many harm to the public by their petty knowledge. People have no more faith in this
The growth of knowledge is possible only by Jai Vidha in this form may be submitted that the general public should also Have a good profit. Keeping this objective in mind Arrangements have been made to publish the book. on this subject All the other books are very thorough and serious
Common people are not able to take advantage of them Hope this book will fulfill this influence in the field of education. With the help of this, even an ordinary creature will be able to get the knowledge of the chain of his life through his lines. It is necessary that the creature has to be very patient to get the knowledge of this knowledge, because it takes a lot of time for the lines to form, deteriorate, even a few pieces of sand. Therefore, I would request the readers here to get the knowledge of Rekh with the help of this book, keep an eye on their development and much more. Try to say the fruit with understanding...t,om..
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ज्योतिष के क्षेत्र में भारत संसार के समस्त देशों से सदा आगे रहा है। आज, यद्यपि अन्य क्षेत्रों में भारत की गणना संसार के पिछड़े देशों में होती है, किन्तु ज्योतिष के मामले में वह पिछले सैकड़ों वर्षों से संसार के समस्त देशों का नेतृत्व करता चला आ रहा है। यह नगण्य सत्य है कि संसार के समस्त देशों का ज्योतिष ज्ञान भारत के ज्योतिष ज्ञान के सम्मुख नहीं रखता। इसके साथ ही साथ यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे देश में इस विद्या की धीरे २ अवनति हो रही है ।
अवनति के दो मूल कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि देश में ऐसा कोई विद्यालय नहीं जहाँ इसकी दीक्षा का समु चित प्रबन्ध हो । किसी भी विद्या का उत्थान जब तक सम्भव नहीं जबतक शासन उसके प्रसार और खोजका पूर्ण साधन उपलब्ध नहीं करता। देश के पाठ्यक्रम में इसका कोई महत्व नहीं अतः जिज्ञासु व्यक्ति भी इसके ज्ञान प्राप्ति के साधनों से वंचित रह जाते हैं। उनका ज्ञान अधूरा रह जाता है और शृङ्खला-बद्ध न होने के कारण उनके ज्ञान का कोई महत्व ही नहीं रहता। शासन की उपेक्षा जो सदियों से इस विद्या विशेष के साथ चली आ रही है, इसके पतन का मुख्य कारण हो गई है ।
दूसरा कारण है जनता की इस विद्या के प्रति उपेक्षा | साधारण जन-समुदाय इसको केवल जन्मपत्री बनाने वाले पण्डितों तथा शनिवार के दिन तेल माँगने वाले भड़ारौ की विद्या ही समझता है । यह सच भी हैं कि इन दोनों श्रेणी के लोगों ने अपने क्षुद्र ज्ञान द्वारा जनता के अहेत भी अनेकों किये हैं। लोगों का इस पर कोई विश्वास रह नहीं गया है।ज्ञान की वृद्धि जय ही सम्भव है जय विधा को इस रूप में प्रस्तुत किया जा सके कि जन साधारण को भी उसका समुचित लाभ हो । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये इस पुस्तक को प्रकाशित करने की व्यवस्था की गई है। इस विषय पर अन्य जितनी भी पुस्तकें हैं वह चहुत गौरा और गम्भीर हैं।उनका लाभ जन साधारण नहीं उठा पाता । आशां है यह पुस्तक विद्या के क्षेत्र में इस प्रभाव की पूर्ती करेगी। इसकी सहायता से साधारण प्राणी भी अपनी रेखाओं द्वारा अपने जीवन की श्रृंखला का ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ हो सकेगा । यह तोश्यक है कि इस विद्या की जानकारी हासिल करने के लिये प्राणी को बहुत धैर्य रखना पदता है, क्योंकि रेखाओं के बनने, बिगड़ने थोड़ी बहुत रद्दो के चदल तक में काफी समय लगता है। अतः मैं पाठकों से यहीं निवेदन करूंगा कि वह इस पुस्तक के सहारे रेख का ज्ञान प्राप्त करें, उनके विकास और इस पर निगाह रखें और खूब . समझ बूझ कर ही फल कहने की चेष्टा करें |। Samudirk Shastra PDF, तंत्र सिंधु PDF Free download, सामुद्रिक शास्त्र PDF किताब, सामुद्रिक शास्त्र PDF, सामुद्रिक शास्त्र बुक फ्री डाउनलोड, Samudirk Shastra By Bhairja Ji Free E-Book.
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