सूर्य चिकित्सा विज्ञान | Surya Chikitsa Vigyan Hindi PDF Book

सूर्य चिकित्सा विज्ञान हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक |  Surya Chikitsa Vigyan PDF Download Free 

Surya Chikitsa Vigyan Hindi PDF Book
 Surya Chikitsa Vigyan 


Some Excerpts From the Book Surya Chikitsa Vigyan

Sun is the soul of the world. The entire physical development of the world is dependent on the power of the Sun. There are no plants without the power of the sun. Can't grow, eggs can't grow, air can't be purified, it can't be achieved. Without the power of the Sun, we would not have been born on this earth.


Sun is the center of nature. All its powers are derived from the Sun. The body cannot exist without the soul, in the same way the existence of the world is dependent on the sun. The way the bumblebee surrounds the flower to get its life-juice. Similarly, the Earth revolves around the Sun to get the material suitable for its survival. If the earth is our mother, then the sun is the father. We are living life by the Rajveerya of both. The ripening of bodily juices is done by the heat of the sun. The development of the powers, the fulfillment of the organs and the excretion of waste depend on that great power. It happened that this simple sequence of development and confirmation of our body and its means of survival continues in the life of all living beings.

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सूर्य चिकित्सा विज्ञान महाविज्ञान पुस्तक के कुछ अंश

सूर्य संसार की आत्माहै। संसार का संपूर्ण भौतिक विकाश सूर्य की सत्ता पर निर्भर है। सूर्य की शक्ति के बिना पौदे नहीं | उग सकते, अण्डे नहीं बढ़ सकते, वायु का शोधन नहीं हो सकता, र की उपलब्धि नहीं हो सकता भी नहीं हो कता । सूर्य की शक्ति के बिना हमारा जन्म होना तो दूर इस पृथ्वी का जन्म न हुआ होता ।


प्रकृति का केन्द्र सूर्य है। इसकी सभस्त शक्तिया सूर्य से ही प्राप्त हैं। आत्मा के विना शरीर का आस्तित्व नहीं हो सकता उसी प्रकार जगत की सत्ता सूर्य पर अवलंचित है। भौंरा अपना जीवन-रस प्राप्त करने के लिए फूल के चारों ओर जिस प्रकार | मँढराया करता है उसी प्रकार पृथ्वी अपनी जीवन रक्षा के उपयुक्त सामित्री पाने के लिए सूर्य की परिक्रमा किया करती है। धरती यदि हमारी माता है तो सूर्य पिताहै। दोनों के रजवीर्य से हम जीवन धारण किये हुए हैं। शारीरिक रसों का परिपाक सूर्य की गर्मी से होता है। शक्तियों का विकाश, अगों की परिपुष्टि |और मलों का निकलना उसी महत शक्ति पर निर्भर है। यह तो हुई हमारे शरीर और उसके जीवित रहने के साधनों के विकाश और परिपुष्टि की बात यह साधारण क्रम सभी जड़ चेतन जीवधारियों के जीवन में भी चलना रहता है।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

सूर्य चिकित्सा विज्ञान / Surya Chikitsa Vigyan PDF

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

श्रीराम शर्मा आचार्य / Shri Ram Sharma Acharya

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

Hindi

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

2 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

52

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

health books


 


 


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