Some Excerpts From the Book Bhavishya Puran
Maharishi Markandeya says - Lord! You are the innermost, all-pervading, all-form, Jagadguru, Paramaradhya and pure form. All cosmic and Vedic speech is under your control. You are the originator of Veda Marga. I salute Narottama Nar and Rishivar Narayan in this couple of yours. Lord, that knowledge which gives you an interview is fully present in the Veda, which reveals the secret of your nature. Even great geniuses like Brahma etc. keep trying to get it, but they fall in love. You are also such a loser that you manifest in front of them by adopting the same modesty, nature and form as the people of different opinions think about you. In fact, you are the pure science hidden in all the titles of the body etc. O Purushottam! I adore you
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भविष्य पुराण पुस्तक के कुछ अंश
महर्षि मार्कण्डेयजी कहते हैं- भगवन्! आप अन्तर्यामी, सर्वव्यापक, सर्वस्वरूप, जगद्गुरु, परमाराध्य और शुद्धस्वरूप हैं। समस्त लौकिक और वैदिक वाणी आपके अधीन है। आप ही वेदमार्गके प्रवर्तक है। मैं आपके इस युगलस्वरूप नरोत्तम नर और ऋषिवर नारायणको नमस्कार करता हूँ। प्रभो वेदमे आपका साक्षात्कार करानेवाला वह ज्ञान पूर्णरूपसे विद्यमान है, जो आपके स्वरूपका रहस्य प्रकट करता है। ब्रह्मा आदि बड़े-बड़े प्रतिभाशाली मनीषी उसे प्राप्त करनेका यत्न करते रहनेपर भी मोहमें पड़ जाते हैं। आप भी ऐसे हारी हैं कि विभिन्न मतवाले आपके सम्बन्धमें जैसा सोचते विचारते है, वैसा ही शील-स्वभाव और रूप ग्रहण करके आप उनके सामने प्रकट हो जाते हैं। वास्तव में आप देह आदि समस्त उपाधियोंमें छिपे हुए विशुद्ध विज्ञानपन ही है। हे पुरुषोत्तम! मैं आपकी वन्दना करता हूँ।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
भविष्य पुराण | Bhavishya Puran PDF | |
वेदव्यास - Vedvyas | |
Hindi | |
448 | |
धार्मिक / Religious,Hindi,हिंदू - Hinduism |
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