Chandogya Upanishad |
Chandogya Upanishad hindi pdf :छांदोग्य उपनिषद
विवरण (Description) :
छांदोग्य उपनिषद् सामवेदीय छान्दोग्य ब्राह्मण का औपनिषदिक भाग है जो प्राचीनतम दस उपनिषदों में नवम एवं सबसे बृहदाकार है। इसके आठ प्रपाठकों में प्रत्येक में एक अध्याय है। स्रोत भारतीय दर्शन से लिया गया
छान्दोग्य उपनिषद प्रथम अध्याय प्रथम खण्ड
‘ॐ’ यह अक्षर ही उद्गीथ है, इसकी ही उपासना करनी चाहिए । ‘ॐ’ ऐसा ही उदगान करता है । उस की ही व्याख्या की जाती है
इन भूतों का रस पृथ्वी है । पृथ्वी का रस जल है । जल का रस ओषधियाँ हैं, ओषधियों का रस पुरुष है, पुरुष का रस वाक् है, वाक् का रस ऋक् है । ऋक् का रस साम है और साम का रस उद्गीथ है
यह जो उद्गीथ है, वह सम्पूर्ण रसों में रसतम, उत्कृष्ट, पर का प्रतीक होने योग्य और पृथ्वी आदि रसों में आठवाँ है
अब यह विचार किया जाता है कि कौन-कौन सा ऋक् है, कौन-कौन सा साम है और कौन-कौन सा उद्गीथ है
वाक् ही ऋक् है, प्राण साम है और ‘ॐ’ यह अक्षर उद्गीथ है । ये जो ऋक् और समरूप वाक् और प्राण हैं, परस्पर मिथुन हैं
वह यह मिथुन ‘ॐ’ इस अक्षर में संसृष्ट होता है । जिस समय मिथुन परस्पर मिलते हैं उस समय वे एक-दूसरे की कामनाओं को प्राप्त कराने वाले होते हैं ।
जो विद्वान इस प्रकार इस उद्गीथरूप अक्षर की उपासना करता है, वह सम्पूर्ण कामनाओं की प्राप्ति कराने वाला होता है
- पुस्तक का नाम/ Name of Book : छांदोग्य उपनिषद | Chandogya Upanishad
- पुस्तक के लेखक / Author of Book : *****
- श्रेणी / Categories :Upanishad,Ved or Puran
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