Vedon Me Yogvidya Book in PDF Download
Theology in Vedas
The source of yoga
Importance of Vedic celebration
Vedas are the origin of Indian culture and knowledge science. The place of Vedas is glorified in the history of Indian civilization and culture. Personal life, social order and national organization of Indian society has been based on the firm foundation of Shrutibhavati since the beginning of time, so the study of Vedas, teaching and thinking is absolutely necessary for the understanding of all aspects of Indian civilization-culture. The eternal relentless knowledge of the Vedas is the smooth stairway of consecration on the revered array of mankind; Because the ascetic sages who have been revived from the salvation produced in the amethuni creation have attained the knowledge of the Vedas in high-level situations of samadhi. "
The Vedas are the omnipotence of the Aryans, self-evident and illuminate all other things, making their light like the Sun. This is the endowment of Satyavidyaas and all other disciplines have developed on the basis of that. This belief has been going on since time immemorial. For the human race, considering Vedas as the basic proof.
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वेदों में योगविद्या
योग का आदिस्रोत
वैदिक वाङ्मय का महत्त्व
वेद भारतीय संस्कृति एवं ज्ञानविज्ञान के मूलस्रोत हैं। भारतीय सभ्यता और संस्कृति के इतिहास में वेदों का स्थान प्रत्यन्त गौरवपूर्ण है। प्राक्तन काल से भारतीय समाज का वैयक्तिक जीवन, सामाजिक व्यवस्था तथा राष्ट्रीय संगठन श्रुतिभगवती की दृढ़ आधारशिला पर अवलम्बित रहा है, अतः भारतीय सभ्यता-संस्कृति के सम्पूर्ण पक्षों के परिज्ञान के लिए वेदों का अध्ययन अध्यापन एवं चिन्तन-मनन नितान्त आवश्यक है। वेदों का शाश्वत निर्भ्रान्त ज्ञान मानवमात्र की श्रद्धेय सरणी पर प्रारोहण का सुगम सोपान है; क्योंकि अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न मोक्ष से पुनरावर्तित तपःपूत ऋषियों को समाधि की उच्च स्तरीय स्थितियों में वेदों का ज्ञान अवतरित हुआ है।"
वेद ही आर्यों का सर्वस्व है, स्वतःप्रमाण है तथा सूर्य के समान अपना प्रकाश करता हुआ समस्त अन्य पदार्थों का प्रकाश करनेवाला है। यह सत्यविद्याओं का निधान है तथा उसी के आधार पर अन्य समस्त विद्याओं का विकास हुआ है। यह विश्वास अनादिकाल से चला आ रहा है। वेद को मूल प्रमाण मानकर मनुष्य जाति के लिए
१. तेभ्यस्तप्तेभ्यस्त्रयो वेदा प्रजायन्ताग्नेः ऋग्वेदो वायोर्यजुर्वेदः सूर्यात्सामवेदः ॥
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
वेदों में योगविद्या | Vedon Me Yogvidya | |
Yogendra Purusharthi-डॉ. योगेन्द्र पुरुषार्थी | |
Yoga,sadhana |
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