Chandravanshi Hindi Book in PDF Download
Chandravanshi book in Hindi, Chandravanshi Book in Hindi PDF, Chandravanshi in Hindi, Chandravanshi book, Chandravanshi PDF The golden age of Chandravanshi kings of Kurmanchal is considered to be King Bajbahadur in 1638-1678. Gradually there was a power struggle in this dynasty and weak kings started coming under the influence and control of other castes. Eventually the heretical Ruhele Pathans invaded and occupied Kurmanchal. The Chandra dynasty king Kalyan Chand (1729–1748) became an inexperienced king and remained under the control of his advisors. These counselors committed thousands of murders at the hands of Madho Raja of this soil, leaving hundreds of his eyes to die.
The darkest page of the period of the Chandravanshi kings of Kurmanchal was when the ever-independent Kurmanchal country was ruled by the heretical Ruhele Pathans. There was a crisis on religion and culture. With great difficulties and the cooperation of Raja Garhwal, the re-establishment of the state of Kurmanchal was possible. The novel 'Chandravanshi', during this period, gives a detailed analysis on what kind of tragedy Kurmanchalal history has gone through and the capacity, inefficiency of the kings and the suffering and sensations of the subjects.
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चन्द्रवंशी हिंदी में किताब करें पीडीएफ में डाउनलोड
चन्द्रवंशी हिंदी में पीडीएफ डाउनलोड, चन्द्रवंशी में पीडीएफ, चन्द्रवंशी हिंदी में pdf download, चन्द्रवंशी PDF Download,चन्द्रवंशी PDF Download कुर्मांचल के चन्द्रवंशी राजाओं का स्वर्णिम युग राजा बाजबहादुर सन् 1638-1678 को माना जाता है। धीरे-धीरे इस राजवंश में सत्ता संघर्ष होने लगा तथा अन्य जातियों के प्रभाव एवं नियंत्रण में दुर्बल राजा आने लगे। अंतत: विधर्मी रुहेले पठानों ने कुर्मांचल पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया। चन्द्रवंशीय राजा कल्याण चंद (सन् 1729-1748) एक अनुभवहीन राजा बना और अपने परामर्शदाताओं के नियंत्रण में रहा। इन परामर्शदाताओं ने इस माटी के माधो राजा के हाथों हजारों हत्याएँ करवाईं, सैकड़ों की आँखें निकलवाकर उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया।
कुर्मांचल के चन्द्रवंशीय राजाओं के कालखण्ड का सबसे काला पृष्ठ था जब सदैव से स्वतंत्र रहे कुर्मांचल देश पर विधर्मी रुहेले पठानों द्वारा अधिकार किया गया। धर्म व संस्कृति पर संकट था। बड़ी कठिनाइयों और राजा गढ़वाल के सहयोग से कुर्मांचल राज्य की पुन:स्थापना हो सकी। इस दौरान कुर्मांचलीय इतिहास किस तरह की त्रासदी से गुजरा और राजाओं की क्षमता, अक्षमता व प्रजा की पीड़ा व संवेदनाओं पर भावपूर्ण विश्लेषण करता है यह उपन्यास ‘चन्द्रवंशी’।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
चन्द्रवंशी | Chandravanshi | |
कौस्तुभ आनंद चंदोला / Kaustubh Anand Chandola | |
इतिहास / History |
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