The Haunted Villa Book in PDF Download
The Haunted Villa book in Hindi, The Haunted Villa Book in Hindi PDF, The Haunted Villa in Hindi, The Haunted Villa book, The Haunted Villa PDF On receiving the news of Sudesh's maternal illness, he and his wife went to his house to know his condition and it was necessary to go because he was the only aunt of Sudesh and Sudesh was his only nephew. After getting the news of aunt, it was necessary for her to leave at night to attend an urgent meeting in the morning so that her meeting would not be missed.
Sudesh: - "Ravi! Take good care of your aunt and inform me immediately if there is any problem, I will definitely send some help."
Ravi: - "Yes brother ..."
Sudesh: - "I will make some arrangements soon to treat Bua Ji in the city."
Janavi: - "And then aunt will live with us, they will be treated at home. Is it not Buaji? Will you be with us?"
When Jahnavi smiled and asked Bua ji, he too smiled at this. She knew that after her husband passed away, it was Sudesh who had to pay for her and her son's education. His family did not support him, but Sudesh has run his house like an elder son.
Sudesh looked at the wristwatch on his wrist one time and said to Jahnavi: "Janhvi, we should go now, it is 9:30 ... Bua ji, now we go tomorrow morning I have an important meeting or else I will be 2-4" The day would have remained with you…. "
Aunt: - "So much night ... No, I will not let both of you go on such a night. If it is necessary to go, then go home only after the sun goes out tomorrow morning." Sudesh: - "Aunt! If I get out in the morning, I miss the meeting
Jaagi and Janvi also have appointments at a Dr…. "
Ravi: - "Brother, mother is right .."
Sudesh: - "Oh aunt! Ravi, you two are getting upset."
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द हॉन्टेड विला हिंदी में किताब करें पीडीएफ में डाउनलोड
द हॉन्टेड विला हिंदी में पीडीएफ डाउनलोड, द हॉन्टेड विला में पीडीएफ, द हॉन्टेड विला हिंदी में pdf download, द हॉन्टेड विला PDF Download,द हॉन्टेड विला PDF Download सुदेश की बुआ की तबियत अचानक खराब होने की खबर मिलने पर वो और उसकी पनि उनका हाल जानने उनके घर गए थे और जाना जरूरी भी था क्यूंकि वो सुदेश की इकलौती बुआ थी और सुदेश उनका एकलौता भतीजा। बुआ का हाल खबर लेने के बाद सुबह एक अर्जेंट मीटिंग अटेंड करने के लिए रात को ही उसका निकलना जरूरी था ताकि उसकी मीटिंग मिस ना हो।
सुदेश :- "रवि ! बुआ का अच्छे से ख्याल रखना और कोई दिक्कत हो तो मुझे फ़ौरन खबर कर देना मैं कोई न कोई मदद ज़रूर भेज दूंगा।
रवि :- "जी भैया..."
सुदेश :- "मैं जल्द ही कोई बंदोबस्त कर दूंगा शहर में बुआ जी के इलाज का।"
जानवी:- "और फिर बुआ जी हम लोग के साथ रहेंगी घर पर ही इनका इलाज करवाया जाएगा। है न बुआजी? रहेंगी न हमारे साथ?"
जाहनवी ने मुस्कुरा कर बुआ जी से पूछा तो उन्होंने भी इस बात पर मुस्कुरा दिया। वो जानती थी कि उनके पति के गुज़र जाने के बाद सुदेश ने ही उनका और उनके बेटे के पढ़ाई का खर्चा उठाया है। उनके परिवार वालों ने तो साथ नहीं दिया लेकिन सुदेश ने बड़े बेटे की तरह उनके घर को चलाया है।
सुदेश ने एकवार अपने कलाई पर बँधी घड़ी पर नज़र दौड़ाई और जाह्नवी से बोला : "जानवी अब हमें चलना चाहिए, 9:30 बज रहे हैं... बुआ जी अब हम चलते हैं कल सुबह मेरी एक इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है वरना मैं 2-4 दिन आपके पास ही रह जाता...."
बुआ :- "इतनी रात को ... नहीं, इतनी रात को मैं तुम दोनों को नहीं जाने दूंगी। अगर जाना जरूरी है तो कल सुबह सूरज निकलने के बाद ही घर जाना। " सुदेश :- "बुआ जी! 5 घंटे तो जाने में ही लग जाएँगे सुबह निकलूंगा तो मीटिंग मिस हो
जाएगी और जानवी का एक डॉ के यहाँ अपॉइंटमेंट भी हैं...."
रवि :- "भैया, माँ सही कह रही है.."
सुदेश:- "ओह बुआ जी! रवि आप आप दोनों खामखा परेशान हो रहे हैं।"
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
द हॉन्टेड विला | The Haunted Villa | |
अंकुर पांडे / Ankur Pandey | |
Horror,कहानियाँ / Stories, |
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