चेतना की शिखा: रामधारी सिंह 'दिनकर' | Chetna Ki Shikha: Ramdhari Singh Dinkar PDF Download

 

चेतना की शिखा | Chetna Ki Shikha PDF

Chetna Ki Shikha Book in PDF Download

Chetna Ki Shikha pdf,  Chetna Ki Shikha PDF Download ,  Chetna Ki Shikha literature pdf,  Chetna Ki Shikha Hindi pdf,  Chetna Ki Shikha,  Chetna Ki Shikha free download. The body of Sri Aurobindo took place in the month of December 1950, when I was almost twenty-two years old, but my path was such that I could not see Sri Aurobindo. Now whenever I go to the ashram, I have darshan of Shri Maa and want to meditate on Shri Aurobindo's samadhi, as it is, there is a pain inside my mind that hi I could not see you at that time when you were with the body.
Now this is the only way to try to understand Sri Aurobindo through mind i.e. study and contemplation. And for those who have not seen Sri Aurobindo, this is the only way, although study and contemplation, that is, mind is not the right way to understand the truth. Authenticity in the mind comes from faith. The facets of Sri Aurobindo's personality are many and all aspects are exposed one after another. He remained in politics for only five years. But in the same day, he awakened the country and prepared it for the freedom struggle. The method of non-cooperation was his invention. The goal of India is the attainment of complete independence, this inauguration was also done by him wearing a sanam. Philosophers are of a very high quality in Europe, but their philosophy is the product of Madha, the result of the power of reason. He wrote whatever he showed. The specialty of Sri Aurovid as a philosopher is that he was not only a wise scholar but also a great scholar, so he wrote after seeing what he wrote. The essence of Shri Agavad and Darshan is his realization. Thought only dresses up that feeling. Sri Aurobindo has again proved this tradition of India that true philosophy is written after seeing it and not thinking it.

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श्री अरविद का शरीरपात सन १९५० ई के दिसंबर मास मे हुआ जब में लगभग बयानीस वर्ष का हो चुका था लेकिन मेरा माग्य दोप ऐसा रहा कि मै श्री अरविंद के दर्शन नहीं कर सका। अब जब भी आश्रम जाता हूं श्री मां के दर्शन करता हूं और श्री अरविंद की समाधि पर ध्यान ध्यान चाह जैसा भी जमे मन के भीतर एक कचोट जरूर सालती है कि हाय मै आपको उस समय नही देख सका जब आप शरीर के साथ था।

अब तो यही एकमात्र उपाय है कि मन से यानी अध्ययन और चितन म श्री अरविंद को समझने का प्रयास करू। और जिन्होंने श्री अरविंद का नहीं देखा उनक लिए भी यस यही एक उपाय है यद्यपि अध्ययन और चिंतन अर्थात् मन सत्य का समझन का सही मार्ग नहीं है। चितन में प्रामाणिकता श्रद्धा से आती है। श्री अरविद के व्यक्तित्व के पहलू अनेक हैं और सभी पहलू एक म बढ़कर एक उजागर हैं। राजनीति में वे केवल पांच वर्ष तक रह च। किंतु उतन ही दिना म उन्हान सार देश को जगाकर उसे स्वतंत्रता संघर्ष के लिए तैयार कर दिया। असहयाग की पद्धति उन्ही की ईजाद थी। भारत का ध्येय पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति है यह उदघाय भी सनम पहन उन्ही ने किया था। दार्शनिक तो यूरोप में बहुत उच्च काटि के हुए हैं किंतु उनक दर्शन मधा की उपज हैं तर्कशक्ति के परिणाम हैं। उन्होंने जो कुछ दिखा साचार लिखा। दार्शनिक के रूप में श्री अरविद की विशेषता यह है कि व केवल प्रज्ञावान पंडित ही नहीं बहुत बड यागी भी थ अतएव उन्होंने जो कुछ लिखा देखकर लिखा अनुभव करक लिखा। श्री अगवद व दर्शन का सार उनकी अनुभूति है। विचार उस अनुभूति को केवन परिधान प्रदान करता है। श्री अरविंद न भारत की इस परपरा को फिर स प्रमाणित कर दिया कि सच्चा दर्शन यह ह जा सोचकर नहीं देखकर लिखा जाता है। चेतना की शिखा : रामधारी सिंह दिनकर द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक, रामधारी सिंह दिनकर की बुक्स, चेतना की शिखा पीडीऍफ़ पुस्तक।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

चेतना की शिखा | Chetna Ki Shikha PDF 

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

 रामधारी सिंह 'दिनकर' / Ramdhari Singh Dinkar

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  2 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 134

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

 साहित्य / Literature

 


 


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