कहानी शल्य चिकित्सा: यतीश अग्रवाल | Kahaani Shalya Chikitsa PDF in Hindi by Yatish Agrawal

 

कहानी शल्य चिकित्सा | Kahaani Shalya Chikitsa PDF

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The history of surgery has been very rich and exciting. Its story is probably as old as man. The man living in the caves also tried to cure his diseases according to his thinking, but as he developed, his wealth of experiences kept increasing, he kept learning from them. It affected every aspect of his life. Medical science was also not untouched by it, in the lap of great Indian Egyptian and Chinese civilizations developed on the banks of the Ganges, Nile and Barsi rivers, along with science and philosophy, medical science and surgery also spread and studied. Then the Han reached Greece and from there it spread throughout Europe. In that period, there were some extraordinary surgeons, who discovered new dimensions of surgery with new thinking and new information. But then the method of transfusion of blood to patients covered with dark clouds, the technique of performing it at the time of operation and the birth of the principle of 'asepsis' to save from germs, suddenly revived like saliyachikitsa. Its withered plant rapidly took the form of a strong tree with various branches. And fire has set so many stages of development in modern surgery that seemingly impossible operations have taken place and it has not gone to science to give new life to humanity. It is not an easy task to summarize the wonderful story of surgery from the primitive age to its pivotal moments. But Dr. Yatish has done it with great ease and interest. In this book, he attempts to look at the past and present of surgery in a holistic perspective, while also providing a live blueprint of the possibilities of the future.

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शल्यचिकित्सा का इतिहास बहुत समृद्ध और रोमांचक रहा है। इसकी कहानी शायद उतनी ही पुरानी है जितना पुराना मनुष्य है। गुफाओं में रहता आदमी भी अपनी सोच-समझ के अनुसार अपने रोगों के इलाज की कोशिश करता था लेकिन जैसे-जैसे उसने विकास किया, उसके अनुभवों की संपदा बढ़ती रही, वह उनसे सीखता गया। इसका असर उसके जीवन के हर पहलू पर पड़ा। चिकित्सा विज्ञान भी उससे अछूता न रहा गंगा, नील और बाड़सी नदियों के किनारे विकसित हुई महान भारतीय मिस्त्री और चीनी सभ्यताओं की गोद में विज्ञान और दर्शन के साथ-साथ चिकित्सा विज्ञान और शल्यचिकित्सा भी पसे और पढ़े। फिर हान यूनान पहुंचा और वहाँ से पूरे यूरोप में फैलता चला गया। उस दौर में कुछ जसाधारण शल्यचिकित्सक हुए, जिन्होंने नई सोच और नई जानकारी से शल्यचिकित्सा के नए आयाम खोजे मध्य युग में शल्यचिकित्सा को दुर्दिन भी देखने पड़े और स्थिति यह हो गई कि उसे हा की शरण में आना पड़ा। लेकिन फिर अंधेरे बादल छटे रोगियों को खून चढ़ाने की विधि आपरेशन के समय उसे कर सकने की तकनीक और रोगाणुओं से बचा सकने के एसेपसिस' सिद्धांत के जन्म से सल्यचिकित्सा जैसे एकाएक पुनर्जीवित हो उठी। उसके मुरझाये पौधे ने तेजी से विभिन्न शाखाओं वाले मजबूत वृक्ष का रूप ले लिया। और आग आधुनिक शल्यचिकित्सा में विकास की इतनी मंजिलें तय कर तो है कि असंभव लगने वाले जापरेशन हो चले है और यह मनुष्यता को नया जीवन देने विज्ञान न गया है। आदिम युग से आज तक शल्यचिकित्सा की आश्चर्य भरी कहानी को उसके निर्णायक क्षणों को संक्षेप में बतलाना आसान काम नहीं है। लेकिन डॉ० यतीश ने इसे बहुत सहजता और रोचकता से किया है। इस पुस्तक में उन्होंने शल्यचिकित्सा के अतीत और वर्तमान को एक समग्र परिप्रेक्ष्य में आंकने का प्रयास किया है और साथ ही भविष्य की संभावनाओं का एक जीवंत खाका भी सामने रखा है।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

 कहानी शल्य चिकित्सा | Kahaani Shalya Chikitsa PDF 

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

 यतीश अग्रवाल / Yatish Agrawal

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  13 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 156

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

 इतिहास / History

 


 


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