Mourya Kaleen Bharat Book in PDF Download
ANo authentic history of our country has come out in any Indian language. If Indian scholars cooperate with each other, then a detailed history (in the style of Cambridge History of India) can be written in native languages. Hindi Sahitya Sammelan had decided to write a good history in Hindi, but till now this work has not been started. Until such an opportunity comes, it is possible to write independent books on different passages of Indian history.
The minister believes it to be written by Chanakya. If the words of Dr. Jolie are to be accepted, the help of economics cannot be taken in writing the history of the Maurya period. Dr. Jolie also does not consider the description of Megasthenes to be very authentic. He says that Megasthenes had placed a fictitious picture of Indian society in front of his countrymen. Jolie Monsieur describes the character and living conditions of Indians as contrary to the situation in many places. According to his opinion, we do not have any good means of writing the history of Chandragupta Maurya
In such a situation the work of the writer becomes even more difficult. The author does not claim that he has established any independent opinion after thoroughly studying all the material of the history of the Mauryan period. The author has written this book on the basis of English books related to the history of Maurya period. He has mentioned the opinion which is prevailing on various questions, out of which the author is rightly elevated. There is no doubt that in Appendix Economics. A summary of the controversy has been given, but it would have been better if this controversy had been briefly mentioned in the book as well..
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अपने देश का कोई प्रामाणिक इतिहास किसी भारतीय भाषा में नहीं निकला है। यदि भारतीय विद्वान् परस्पर सहयोग करें तो एक विस्तृत इतिहास ( Cambridge History of India के ढंग का ) देशी भाषायों में लिखा जा सकता है। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने हिंदी में एक अच्छा इतिहास लिखाने का निश्चय किया था, पर अभी तक इस कार्य का आरंभ नहीं हो सका है। जब तक ऐसा सुयोग नहीं आता, तब तक भारतीय इतिहास के भिन्न भिन्न परिच्छेदों पर स्वतंत्र पुस्तकें लिखा जाना ही संभव है
मंत्री चाणक्य का लिखा हुआ मानते हैं। यदि डॉक्टर जोली की बात मान ली जाय तो मौर्य काल का इतिहास लिखने में अर्थशास्त्र की सहायता नहीं ली जा सकती। डाक्टर जोली मेगास्थनीज के वर्णन को भी बहुत प्रामाणिक नहीं मानते । उनका कहना है कि मेगास्थनीज ने अपने देशवासियों के सम्मुख भारतीय समाज का एक कल्पित चित्र रखा था । भारतीयों के चरित्र तथा रहन सहन का जो वर्णन उसने किया है, उसको जोली महाशय कई स्थलों में वस्तुस्थिति के विप रीत बतलाते हैं। इनके मत के अनुसार तो चद्रगुप्त मौर्य का इतिहास लिखने का कोई अच्छा साधन हमारे पास रह ही नहीं जाता ।
ऐसी अवस्था मे लेखक का कार्य और भी कठिन हो जाता है । लेखक का यह दावा नहीं है कि उन्होंने मौर्य काल के इतिहास की सारी सामग्री का अच्छी तरह अध्ययन करन कोई स्वतंत्र मत स्थिर किया है । लेखक ने मौर्य काल के इतिहास से संबंध रखनेवाली अँगरेज़ो पुस्तकों के आधार पर ही यह पुस्तक लिखी है । विविध प्रश्नों पर जो मत प्रचलित हैं, उनमें से जो लेखक को ठीक ऊँचा, उसी मत का उल्लेख उन्होंने किया है। इसमें संदेह नहीं कि परिशिष्ट मे अर्थशास्त्र . संबंधी विवाद का सारांश दिया गया है, पर अधिक अच्छा होता यदि पुस्तक में भी इस विवाद का संक्षेप में उल्लेख कर दिया गया होता।।
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