ऋग्वेद हिन्दी भाष्य | Rigved Prathane Hindi Bhasya PDF in Hindi by Dayanand Saraswati

ऋग्वेद हिन्दी भाष्य | Rigved Prathane Hindi Bhasya PDF Download by Dayanand Saraswati


Rigved Prathane Hindi Bhasya Book in PDF Download

'Knowledge' is that light which dispels the darkness of man's mind and mind. The knowledge "light" given by the Lord for the guidance and welfare of human beings in the beginning of creation is called 'Veda'.

'Veda' is the book of all true knowledge and it is universally the oldest text of the libraries of the world, in which this 'knowledge' given by the Supreme Father, the Supreme Soul, is manifested in four parts. Maharishi Dayanand Saraswati, the founder of Rigveda, Yajurveda, Samveda and Athvanveda Arya Samaj, had understood this fact very well that until the light of 'Veda' spreads on the earth, it is believed that the son of human society will become the surest of the path of peace and welfare. Will be able Therefore, he told to read and listen to the Vedas as the ultimate religion.

It is going to be 100 years since the establishment of the Karya Samaj in 1675. Therefore, on this occasion, the Supreme Samaptan Sarvadeshik Arya Pratinidhi Sabha decided to publish the Hindi steam of the four Vedas with the solemn purpose of bringing light of pain to the general public. The fate of the first mandala of the first Pugveda of this determination is in your hands in the sage style of Maharishi Dayanand.

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'ज्ञान' वह प्रकाश है जो मनुष्य के मन और मस्तिष्क का अंधकार समाप्त कर देता है। सृष्टि के आदि में मानव के मार्गदर्शन और कल्याण के लिए प्रभु ने जो ज्ञान "प्रकाश दिया उसका नाम है 'वेद' |

'वेद' सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है और सर्वमान्य रूप से संसार के पुस्तकालयों का सबसे प्राचीन ग्रन्य परम पिता परमात्मा द्वारा प्रदत्त यह 'ज्ञान' जिन ऋचाओं में प्रकट है उनके चार भाग हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथवंवेद आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने इस तथ्य को भली भाति समझा था कि जब तक धरती पर 'वेद' का प्रकाश नहीं फैलेगा, तब तक माना मनयादी मे बेटा मानव समाज शान्ति और कल्याण के मार्ग का पकिन बन सकेगा। अत उन्होंने वेद का पड़ना पड़ाना और सुनना सुनाना परम धर्म बताया।

१६७५ में कार्यसमाज की स्थापना को १०० वर्ष होने जा रहे हैं। अतः इस अवसर पर आसमाज के सर्वोच्च संपटन सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा ने चारों वेदों का हिन्दी भाप्प सर्वसाधारण तक वेदना प्रकाश पहुंचाने के पावन उद्देश्य से प्रकाशित करने का निश्चय किया। इस निश्चय का प्रथम पुग्वेद के प्रथम मंडल का भाग्य - महर्षि दयानन्द की ऋषि - शैली में आपके हाथ में है।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

ऋग्वेद हिन्दी भाष्य  | Rigved Prathane Hindi Bhasya PDF

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

दयानंद सरस्वती - Dayanand Saraswati

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

Hindi

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

20 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 985

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

Ved-Puran


 


 


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