मुण्डमालातन्त्रम् इन हिंदी | Mundamala Tantram PDF Download Free
Mundamala Tantram Book in PDF Download
'Mundmalatantra' nature text. This tantra was published from the five heads of Lord Shankar. Whatever subjects have been told by a mund. That was not said by the second mund. In this way, different subjects have been published by the five Mundas. The first text appears to have been narrated by a Mund.
The name of the first ten Mahavidyas and the praise of Vidya has been described in the sixth patlan 'Mundmalatantra'. In the second panel, the distinction of types of Akshamala, the construction of Akshamala and the ritual method have been described. In the third plate, the place of chanting and worship, the expansive posture and the condemned posture and the distinction of sacrifice in the fourth plate, the method and result of sacrifice, the type and method of Purashcharan in the fifth, the yantra of Bhuvaneshwari and the method of worship in the sixth panel.
Dasamahavidya is mentioned in the beginning of 'Mundmalatantra' in the tenth patlant. In almost every plate, the results of the chanting of Durga and Tara, and the stava-kavach have been mentioned at the place-place..
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प्रस्तुत पुस्तक 'मुण्डमालातन्त्र' प्रकृत ग्रन्थ है। भगवान् शंकर के पाँच मुण्डों से यह तन्त्र प्रकाशित हुआ था। एक मुण्ड के द्वारा जो-जो विषय कहे गये हैं। दुसरे मुण्ड के द्वारा वह नहीं कहा गया। इस प्रकार पाँच मुण्डों के द्वारा पृथक्-पृथक् विषय प्रकाशित किये गये हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पहला ग्रन्थ एक मुण्ड के द्वारा कथित हुआ है।
षष्ठ पटलान्त 'मुण्डमालातन्त्र' में पहले दश महाविद्या का नाम एवं विद्या की प्रशंसा का वर्णन किया गया है। द्वितीय पटल में अक्षमाला के प्रकार भेद, अक्षमाला का निर्माण एवं संस्कार पद्धति वर्णित हुई है। तृतीय पटल में जप एवं पूजा स्थल, प्रशस्त आसन एवं निन्दित आसन तथा चतुर्थ पटल में बलि के भेद, बलिदान की विधि एवं फल का वर्णन, पंचम पटल में पुरश्चरण के प्रकार एवं विधि, षष्ठ पटल में भुवनेश्वरी का यन्त्र एवं पूजा पद्धति का वर्णन है।
दशम पटलान्त 'मुण्डमालातन्त्र' में प्रारम्भ में दशमहाविद्या का उल्लेख है । प्रायः प्रत्येक पटल में दुर्गा एवं तारा के जप पूजा के फल एवं स्थान-स्थान पर स्तव-कवच का कथन किया गया है।
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मुण्डमालातन्त्रम् | Mundamala Tantram PDF | |
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