धनतेरस व्रत कथा इन हिंदी | Dhanteres Vrat Katha PDF Download Free
Dhanteres Vrat Katha Book in PDF Download
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Dhanteras Puja Muhurat: 06:18 PM to 08:10 PM
Pradosh Kaal: 05:32 PM to 08:10 PM
Taurus Hours: 06:18 PM to 08:13 PM
Dhanteras fast story
It is said that at one time Lord Vishnu was coming to roam in the world of death when Lakshmi Ji also requested him to accompany him. Then Vishnu Ji said that if you believe what I say, then come again. Then Lakshmi Ji agreed to him and came to the earth with Lord Vishnu.
After some time, after reaching a place, Lord Vishnu told Lakshmi Ji that you stay here until I come. I am going towards the south, don't you come there. On the departure of Vishnu, the curiosity arose in the mind of Lakshmi that after all what is such a mystery in the south direction which has been forbidden to me and God himself went away.
Lakshmi Ji did not stay away and as soon as God moved forward, Lakshmi also followed. After going a little further, he saw a mustard field in which there were many flowers. Seeing the beauty of mustard, she was mesmerized and went ahead after plucking flowers and doing her makeup. Ongoing further, Lakshmi Ji plucked sugarcane from a sugarcane field and started sucking the juice.
At that very moment, Vishnu Ji came and got angry at Lakshmi Ji and cursed him that I had forbidden him to come here, but he did not listen and committed the crime of stealing the farmer.
Now you serve this farmer for 12 years for this crime. Saying this the Lord left them and went to Kshirsagar. Then Lakshmi Ji started living in the house of that poor farmer.
One day Laxmiji told the farmer's wife that after taking a bath, first worship this goddess Lakshmi made by me, then make a kitchen, then you will get what you ask for. The farmer's wife did the same.
Due to the effect of worship and the grace of Lakshmi, the farmer's house was filled with food, money, gems, gold, etc. from the very second day itself. Lakshmi completed the farmer with money and grains. The farmer's 12 years were spent with great joy. Then after 12 years, Lakshmiji agreed to go.
When Vishnu came to pick up Lakshmi, the farmer refused to send him.
Then God told the farmer that who lets them go, they are fickle, they do not stay anywhere. Big could not stop them. She was cursed by me, so she was serving you for 12 years. Your 12 years of service have been completed. The farmer stubbornly said that no, now I will not let Lakshmiji go.
Then Laxmiji said that O farmer, you want to stop me, then do what I say. Tomorrow is teres. You clean the house tomorrow by leaps and bounds. Keeping a lamp of ghee lit in the night and worshiping me in the evening and keeping money in a copper urn for me, I will reside in that urn.
But I will not be visible to you at the time of worship. I will not leave your house for the whole year by worshiping this one day. Saying this she spread in the ten directions with the light of the lamps. The next day the farmer worshiped as per the legend of Lakshmiji. His house was filled with wealth. For this reason, Lakshmiji was worshiped every year on the day of Teras.
Dhanteras Puja Vidhi
On the day of Dhanteras, worship of Lord Kuber, Lord Dhanvantari, and Goddess Lakshmi is done in the north in the evening. Light a ghee lamp at the time of worship. Offer white sweets to Kubera and yellow sweets to Lord Dhanvantari. While worshiping, chant the mantra “Om Hreem Kuberaya Namah”. Then recite "Dhanvantari Stotra". After Dhanvantari Puja, worship Lord Ganesha and Goddess Lakshmi as well. Light an earthen lamp for Lord Ganesha and Goddess Lakshmi. Offer them flowers and offer sweets.
Method of lighting a lamp in the name of Yama on Dhanteras: Worship before lighting the lamp. Make a swastika mark with a roli by placing a plank on a wooden bench or ground. Then put a four-faced lamp made of clay or flour on it. Put tilak on the lamp. Offer rice and flowers. Add sugar. After this put a coin of 1 rupee and apply tilak to the family members. After saluting the lamp, keep it at the main entrance of the house. Make sure that the flame of the lamp should be towards the south. Because it is considered to be the direction of Yamraj. By doing this, premature death is averted.
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धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त 2021
धनतेरस पूजा मुर्हुत: 06:18 PM से 08:10 PM तक
प्रदोष काल: 05:32 PM से 08:10 PM तक
वृषभ काल: 06:18 से रात 08:13 PM तक
धनतेरस व्रत कथा
कहा जाता है कि एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे तब लक्ष्मी जी ने भी उनसे साथ चलने का आग्रह किया। तब विष्णु जी ने कहा कि यदि मैं जो बात कहूं तुम अगर वैसा ही मानो तो फिर चलो। तब लक्ष्मी जी उनकी बात मान गईं और भगवान विष्णु के साथ भूमंडल पर आ गईं।
कुछ देर बाद एक जगह पर पहुंचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं न आऊं तुम यहां ठहरो। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं,तुम उधर मत आना। विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी के मन में कौतुहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य है जो मुझे मना किया गया है और भगवान स्वयं चले गए।
लक्ष्मी जी से रहा न गया और जैसे ही भगवान आगे बढ़े लक्ष्मी भी पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया जिसमें खूब फूल लगे थे। सरसों की शोभा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं। आगे जाने पर एक गन्ने के खेत से लक्ष्मी जी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं।
उसी क्षण विष्णु जी आए और यह देख लक्ष्मी जी पर नाराज होकर उन्हें शाप दे दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था,पर तुम न मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी।
अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो। ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए। तब लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं।
एक दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो,फिर रसोई बनाना,तब तुम जो मांगोगी मिलेगा। किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया।
पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न,धन,रत्न,स्वर्ण आदि से भर गया। लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए। फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं।
विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इंकार कर दिया।
तब भगवान ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है,यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं। इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं। तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है। किसान हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा।
तब लक्ष्मीजी ने कहा कि हे किसान तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं वैसा करो। कल तेरस है। तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ करना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और शायंकाल मेरा पूजन करना और एक तांबे के कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना,मैं उस कलश में निवास करूंगी।
किंतु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी। इस एक दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी। यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं। अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया। उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया। इसी वजह से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होने लगी।
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)
धनतेरस के दिन शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें। फिर “धन्वन्तरि स्तोत्र” का पाठ करें। धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिट्टी का दीपक जलाएं। उन्हें फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
धनतेरस पर यम के नाम दीप जलाने की विधि : दीपक जलाने से पहले पूजा करें। किसी लकड़ी के बेंच या जमीन पर तख्त रखकर रोली से स्वास्तिक का निशान बनायें। फिर मिट्टी या आटे के चौमुखी दीपक को उस पर रख दें। दीप पर तिलक लगाएं। चावल और फूल चढ़ाएं। चीनी डालें। इसके बाद 1 रुपये का सिक्का डालें और परिवार के सदस्यों को तिलक लगाएं। दीप को प्रणाम कर उसे घर के मुख्य द्वार पर रख दें। ये ध्यान दें कि दीपक की लौ दक्षिण दिशा की तरफ हो। क्योंकि ये यमराज की दिशा मानी जाती है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु टल जाती है।
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