पिंजर इन हिंदी | Pinjar Novel PDF Download Free
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It was cloudy day. The whole pea sitting on the piece of the sack was peeling. Opening the mouth of the flea caught in the fingers, when he tried to slide the grain in his fist, a white worm hit his thumb.
Just as suddenly a shudder rises in the mud filled pit, similarly the shiver ran all over Pooro's body, jerking his hand, threw the insect away and got his hands in his knees.
Pea pods, removed grains and empty peels were scattered in front of Pooro. He took hold of his liver by taking out both his hands from the middle of the joined Putno. He felt as if from head to toe his body was like that of a pea pod, inside which a worm was growing in place of clean grains of peas.
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मटमैला दिन था। बोरी के टुकडे पर बैठी पूरा मटर छोल रही थी। उँगलिया म पकडी हुई फ्ली के मुह का खोलकर जब उस ने दाना को मुट्ठी में सरकाना चाहा, तो एक सफेद कीडा उस के अँगूठे पर लग गया।
जैसे एकाएक कीचड भरे गड्ढे में पाव जा पडन पर एक सिहरन-सी हो उठती है, वैसी ही सिहरन पूरो के सारे शरीर मे दौड गयी हाथ झटकाकर उस न कीडे को परे फेंक दिया और अपने हाथो का अपने घुटनो म भीच लिया।
पूरो के सामने मटर की फलिया, निकाले हुए दाने और खाली छिलवे बिखरे पढे रहे। उस ने जोड़े हुए पुटनो के बीच म से दोनों हाथ निकालकर अपन कलेजे को थाम लिया। उसे लगा, मानो सिर से पाँव तक उस का शरीर मटर की उस फली की भाति हो जिसके भीतर मटर ने स्वच्छ दानो के स्थान पर कोई गा कीडा पल रहा है।
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पिंजर / Pinjar Novel PDF | |
Hindi | |
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