महावंस | Mahavamsa |
Some Excerpts From the Book Mahavamsa
This Mahavansa text, written in Pali language, has great importance from the point of view of Indian history apart from the history of Lanka. In this we get the history of four hundred years before Buddha, one hundred years of Buddha and almost four hundred years of post-Buddha period in great detail. On the basis of this, we get various material and information about the social activities of the time. Whatever we want to explore about the religious ethos of that time, political changes, the advancement of agriculture, trade and industry, progress in social education, religious (spiritual) and social development of women or the living conditions of the then Indian society. It will definitely be found in the subtle field of study.
Also, it includes Lord Buddha, the religion propounded by him, the Sangha established by him, Buddhist music, the Nripatis who supported Buddhism, especially the life devoted to Buddhism of Emperor Ashoka, his son Mahendra and daughter Sanghamitra, and other such prominent monks. The life introduction, the differences of the then Sanghanikas, the Acharya tradition of Buddhists, the religious tendencies of Buddhist scholars and Buddhist religious propagators, all these topics are described in detail.
Along with this, in this a detailed history-details of the then kings of Lankadweep (from King Vijay to King Mahasen), description of wars from time to time in Lankadweep and many Mahaviharas, Chaitya Stupa Aaram, built by different kings for the residence of Buddhist monks. The sequential description of etc. is also described as per the context. The specialty of this book is considered to be due to such a detailed description.
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महावंस पुस्तक के कुछ अंश
पालिभाषा में लिखित इस महावंस ग्रन्थ का लङ्काद्वीपीय इतिहास के अतिरिक्त भारतीय इतिहास की दृष्टि से भी अत्यधिक महत्त्व है। इसमें हमें बुद्धपूर्व के चार सौ वर्ष, बुद्धकालीन एक सौ वर्ष तथा बुद्ध-परकालीन प्रायः चार सौ वर्ष का इतिहास बहुत विस्तार से मिलता है। इसके आधार पर हम तत्कालीन सामाजिक क्रियाकलापों की बहुविध सामग्री एवं जानकारी पा लेते हैं। उस समय के धार्मिक आचार-विचार, राजनीतिक परिवर्तन, कृषि व्यापार एवं उद्योग की अभ्युन्नति, सामाजिक शिक्षा में प्रगति नारी का धार्मिक (आध्यात्मिक) एवं F सामाजिक विकास या तत्कालीन भारतीय समाज के रहन-सहन के विषय में हम जो कुछ भी गवेषणा करना चाहें वह सूक्ष्मेक्षिकया अनुशीलन करने पर इसमें अवश्य मिलेगा ।
साथ ही, इसमें भगवान् बुद्ध, उनके द्वारा प्रतिपादित धर्म, उनके द्वारा प्रतिष्ठापित सङ्घ, बौद्ध सङ्गीतियाँ, बौद्ध धर्म को राज्याश्रय देनेवाले नृपतिगण, विशेषतः सम्राट् अशोक, उसके पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री सङ्घमित्रा का बौद्ध धर्म के प्रति समर्पित जीवन एवं ऐसे ही अन्य प्रमुख भिक्षुओं का जीवन परिचय, तत्कालीन सङ्घनिकायों के मतभेद, बौद्धों की आचार्य परम्परा, बौद्ध विद्वानों एवं बौद्ध धर्म प्रचारक स्थविरों की धार्मिक प्रवृत्तियाँ ये सभी विषय विस्तृत रूप से वर्णित हैं ।
इसके साथ ही इसमें लङ्काद्वीप के तत्कालीन राजाओं का (राजा विजय से राजा महासेन तक) क्रमपूर्वक विस्तृत इतिहास-विवरण, लङ्काद्वीप में समय-समय पर हुए युद्धों का वर्णन एवं बौद्ध भिक्षुओं के आवासहेतु वहाँ के विभिन्न राजाओं द्वारा निर्मापित अनेक महाविहार, चैत्य स्तूप आराम आदि का क्रमिक वर्णन भी यथाप्रसङ्ग वर्णित हैं । ऐसा विस्तृत वर्णन करने से ही इस ग्रन्थ की विशेषता मानी गयी है ।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
महावंस / Mahavamsa PDF | |
अज्ञात / Unknown | |
Hindi | |
धार्मिक / Religious,Buddhism |
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