सुकवि - समीक्षा | Sukvi Samiksha pdf book free


Some Excerpts From the Book Sukvi Samiksha

Sukvi-Samiksha has been prepared with the aim of presenting a critical introduction of the ancient and ancient major poets of Hindi. The 'Adi period' of Hindi literature, which is also called Apabhramsha period, is not inferior in terms of literary prosperity, but the expression of that period is completely different from the later period, so we have not reviewed any poet of that period in this collection. The expression of Hindi began to flourish from the Bhakti period and gradually it became refined from the point of view of language. In the Bhakti period, among the poets of the Nirguna, Saguna and Premmargi branches, capable artists like Kabir, Sur, Tulsi, Jayasi, Meerabai were born, as a result of which this period became famous in Hindi literature by the name of Golden Age. We have given a detailed place to all the poets of this period in 'Sukvi-Samiksha'.

The history of Ritikaal after Bhaktikal- has a place in the texts. The word Riti gives an understanding of the poets, but not all the poets of this period were poetic scholars of the Acharya category. In fact, in the eyes of most of the poets, the number of poets did not go beyond the makeup and hero-heroine distinction, in this period more than a hundred good poets were born, but we have selected only representative poets among them. Keshav, Dev and Bhushan can be called representative poets of different styles of this period. There is no other poet who can equate Keshav in displaying Acharyatva. Mahakavi Dev has the best place among the customary poets. The place of Bhushan is on the sly because of the flow of anti-makeer poetry. Bhushan is revered in Hindi literature as an incarnation of Veer Rasa. Thus, out of the vast group of ancient poets, we have selected only eight poets.

In the selection of the ancient poets, special attention has been given to personality and tendencies. No other poet of that era can represent the Bharatendu era as well as Bharatendu Harishchandra himself. In the Dwivedi era, 'Hariudh' and Maithilisharan Gut are representative poets in all respects. The review of 'Prasad', 'Nirala', 'Pant' and Mahadevi, representative of Chhayavadi era, has been written keeping in view their gradual development. Both Makhanlal and 'Dinkar' are capable poets of national sentiments. In this way the criticism of these nine poets can be helpful in presenting a complete picture of the modern poetry of Hindi.

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सुकवि - समीक्षा पुस्तक के कुछ अंश

हिन्दी के प्राचीन तथा अर्वाचीन प्रमुख कवियों का आलोचनात्मक परिचय प्रस्तुत करने के उद्देश्य से सुकवि-समीक्षा का प्रणयन किया गया है। हिन्दी साहित्य का 'आदि काल' जिसे अपभ्रंश काल भी कहते हैं, साहित्यिक समृद्धि की दृष्टि से हीन नहीं है किन्तु उस काल की अभिव्यंजना परवर्ती काल से सर्वथा भिन्न है, अतः हमने इस संग्रह में उस काल के किसी कवि की समीक्षा नहीं की है। हिन्दी का अभिव्यंजना सौष्ठव भक्तिकाल से निखरना प्रारम्भ हुआ और शनैः शनैः भाषा की दृष्टि से वह परिनिष्ठित होता गया। भक्तिकाल में निर्गुण, सगुण और प्रेममार्गी शाखा के कवियों में कबीर, सूर, तुलसी, जायसी, मीराबाई जैसे समर्थ कलाकार उत्पन्न हुए, फलतः यह काल हिन्दी साहित्य में स्वर्णकाल के नाम से प्रसिद्ध हो गया। हमने 'सुकवि-समीक्षा' में इस काल के सभी प्रति निधि कवियों को विस्तारपूर्वक स्थान दिया है।

भक्तिकाल के बाद रीतिकाल का इतिहास- ग्रंथों में स्थान है। रीति शब्द से काव्यांगों का बोध होता है किन्तु इस काल के सभी कवि आचार्य कोटि के काव्य-शास्त्री नहीं थे । यथार्थं में अधिकांश कवियों की दृष्टि शृंगार रस और नायक-नायिका भेद से आगे नहीं गई संख्या की दृष्टि से तो इस काल में शताधिक अच्छे कवि उत्पन्न हुए किन्तु उनमें से प्रतिनिधि कवियों का ही हमने चयन किया है। केशव, देव और भूषण इस काल की विविध शैलियों के प्रतिनिधि कवि कहे जा सकते हैं। आचार्यत्व का प्रदर्शन करने में केशव की समता करने वाला कोई दूसरा कवि नहीं है। रीतिबद्ध कवियों में महाकवि देव का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। भूषण का स्थान शृंगार विरोधी काव्यधारा प्रवाहित करने के कारण मूर्धन्य पर है। वीर रस के अवतार के रूप में भूषण हिन्दी साहित्य में पूजित हैं। इस प्रकार प्राचीन कवियों के विशाल समूह में से हमने केवल आठ कवियों का चयन किया है।

अर्वाचीन कवियों के चयन में व्यक्तित्व एवं प्रवृत्तिगत वैशिष्ट्य का विशेष ध्यान रखा गया है। भारतेन्दु युग का प्रतिनिधित्व स्वयं भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जितना अच्छा करते हैं उतना उस युग का अन्य कोई कवि नहीं कर सकता। द्विवेदी युग में 'हरिऔध' और मैथिलीशरण गुत ही सब दृष्टियों से प्रतिनिधि कवि हैं। छायावादी युग के प्रतिनिधि 'प्रसाद', 'निराला', 'पन्त' और महादेवी की समीक्षा उनके क्रमिक विकास को दृष्टि में रख कर लिखी गई है। माखनलाल और 'दिनकर' दोनों ही राष्ट्रीय भावनाओं के गायक समर्थ कवि हैं। इस प्रकार इन नौ कवियों की आलोचना हिन्दी की आधुनिक काव्यधारा का सम्पूर्ण चित्र प्रस्तुत करने में सहायक हो सकती है।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

सुकवि - समीक्षा | Sukvi Samiksha PDF

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

डॉ. दशन्य ओझा / Dr. Dashanya Ojha,विजयेन्द्र स्नातक / Vijayendra Snatak

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

Hindi

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

18 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 260

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

काव्य / Poetry


 
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