Some Excerpts From the Book Beej Mantra Se Rogo Ka Nidaan
Diagnosis of many diseases is successful with the help of Seed Minister. The need is only to choose the effective mantra suitable for you and to meditate and chant it with pure pronunciation. The meaning of the seed is more important than its pure pronunciation. When the mantra is chanted continuously with a certain rhythm and rhythm, it causes vibrations in the nadis. The friction of that vibration causes an explosion and energy is generated, which animates the plates. With proper practice of this whole process, the harmony of hormones produced naturally in the body and helpful in nourishing the body according to the need of the body, and accordingly the body's immunity to fight diseases starts increasing.
Beej mantras prove to be the most effective among the mythological, Veda, shower etc. While getting up and sleeping, keep chanting that mantra continuously. You will see the difference miraculously within you. It should be kept in mind that the essence of its power in Beej Mantras is not in its meaning but in performing its pure pronunciation with a certain rhythm and cadence.
The highest importance in Beej Mantra lies in its point and this knowledge is possible only through deep knowledge of Vedic grammar. You see for yourself that a point has three different pronunciations.
The word Ganga is 'D' dominant.
The dirty word 'no' is dominant.
The serious word 'M' is dominant.
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बीज मंत्रो से रोगों का निदान पुस्तक के कुछ अंश
बीज मंत्री से अनेकों रोगों का निदान सफल है। आवश्यकता केवल अपने अनुकूल प्रभावशाली मंत्र चुनने और उसका शुद्ध उच्चारण से मनन-गुनन करने की है। बीज के अर्थ ये अधिक आवश्यक उसका शुद्ध उच्चारण ही है। जब एक निश्चित लय और ताल से मंत्र का सतत जप चलता है तो उससे नाड़ियों में स्पंदन होता है। उस स्पदन के घर्षण से विस्फोट होता है और एनर्जी उत्पन होती है, जो पट्चकों को चैतन्य करती है। इस समस्त प्रक्रिया के समुचित अभ्यास से शरीर में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते और शरीर की आवश्कता के अनुरूप शरीर का पोषण करने में सहायक हारमोन्स आदि का सामन्जस्य बना रहता है और तदनुसार शरीर को रोग से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है।
पौराणिक, वेद, शावर आदि मंत्रों में बीज मंत्र सर्वाधिक प्रभावशाली सिद्ध होते हैं। उठते-बैठते, सोते-जागते उस मंत्र का सतत् शुद्ध उच्चारण करते रहें। आपको चमत्कारिक रूप से अपने अन्दर अन्तर दिखाई देने लगेगा। यह बात सवैद ध्यान रखें कि बीज मंत्रों में उसकी शक्ति का सार उसके अर्थ में नहीं बल्कि उसके विशुद्ध उच्चारण को एक निश्चित लय और ताल से करने में है।
बीज मंत्र में सर्वाधिक महत्व उसके बिन्दु में है और यह ज्ञान केवल वैदिक व्याकरण के सघन ज्ञान द्वारा ही संम्भव है। आप स्वयं देखें कि एक बिन्दु के तीन अलग-2 उच्चारण हैं।
गंगा शब्द 'ड' प्रधान है।
गन्दा शब्द 'न' प्रधान है।
गंभीर शब्द 'म' प्रधान है।
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बीज मंत्रो से रोगों का निदान | Beej Mantra Se Rogo Ka Nidaan PDF | |
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