Some Excerpts From the Book Mugal Samrajya Ka Kshay Aur Uske Karan
Only the story of the decline of the Mughal Empire is told in this book. This is the reason that this history does not start with Muhammad Ghori or Babur but begins with the accession of the tomb. Akbar brought the Mughal Empire to that level of splendor, from where its decline began. Even before the death of Akbar, tuberculosis had entered the lungs of that vast empire. That gigantic feat gradually eroded, until at first he became a victim of the fickle instincts of the brave Baziron, became a puppet in the hands of the Maratha chieftains, and finally was killed by a dog at the hands of the British soldiers. Beginning with the accession of Akwar, this story will end with the passage of Ghadar of 57 AD, in which Akbar's successor princes were shot and thrown into a ditch by a simple British officer in the shadow of Akbar's father Humayun's tomb.
This book will probably end in four parts. My idea is to break it down into the following parts
- First part - puberty. From Akbar's accession to Aurangzeb's reign.
- The second part - puberty and the beginning of decay. Death of Shivaji from Aurangzeb's accession.
- The third part - decay and destruction. Vain efforts to protect the empire of Aurangzeb's successors.
- Part IV – Final Glimpse and End.
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मुग़ल साम्राज्य का क्षय और उसके कारण पुस्तक के कुछ अंश
इस पुस्तक में केवल मुग़ल साम्राज्य के क्षय की ही कहानी सुनाई गई है। यही कारण है कि यह इतिहास मुहम्मद गौरी या बाबरसे आरम्भ न होकर मकबरके राज्यारोहण के साथ आरम्भ होता है। अकबरने मुगल साम्राज्यको वैभवकी उस कोटितक पहुँचाया, जहाँसे उसका अधःपात शुरू हुआ। अकबरकी मृत्युसे पूर्व ही उस विशाल साम्राज्यके फेफड़ोंमें क्षयरोगका प्रवेश हो चुका था। उस विशाल कायमें धीरे धीरे क्षीणता आती गई, यहाँ तक कि पहले वह साहसिक बज़ीरोंकी चंचल वृत्तियोंका शिकार हुआ, मराठा सरदारोंके हाथकी कठपुतली बना और अन्तमें अंग्रेज़ सिपाहियोंके हाथो कुत्तेकी मौत मारा गया। अकवरके राज्यारोहणसे आरम्भ होकर यह कहानी सन् ५७ के ग़दरके उस परिच्छेदके साथ समाप्त होगी, जिसमे अकबरके उत्तराधिकारी राजकुमारों को एक साधारण अंग्रेज़ अफसरने अकबर के पिता हुमायूँके मकबरेकी छायामे गोलियोंसे मारकर खाईमें फेंक दिया था 1
यह पुस्तक सम्भवतः चार भागों मे समाप्त होगी। मेरा विचार इसे निम्नलिखित भागो मे बॉटने का है
- प्रथम भाग - यौवनकाल । अकबरके राज्यारोहणसे औरंगजेबके राज्या रोहण तक ।
- द्वितीय भाग-प्रौढ़ावस्था तथा क्षयका प्रारम्भ। औरंगजेबके राज्यारोहणसे शिवाजीकी मृत्यु ।
- तृतीय भाग - क्षीणता और विनाश। औरंगजेबके उत्तराधिकारियोंके साम्राज्य रक्षाके लिए व्यर्थ प्रयत्न ।
- चतुर्थ भाग–अन्तिम झलक और समाप्ति ।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
मुग़ल साम्राज्य का क्षय और उसके कारण | Mugal Samrajya Ka Kshay Aur Uske Karan PDF | |
इन्द्र विद्यावाचस्पति / Indra Vidyavachspati | |
Hindi | |
इतिहास / History |
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