Some Excerpts From the Book Karm – Rahasya
Karma - Mystery
Purusha and Prakriti - these are two. Of these, Purusha never changes and nature is never changeless. When this Purusha associates with Prakriti, then Prakriti's action becomes Purusha's 'karma'; Because having a relationship with nature leads to identification. There is love in the natural things which are attained by being identified, and because of that love there is desire for the unattainable things. In this way, as long as there is desire, love and identification, whatever action takes place in the form of transformation, its name is 'Karma'.
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कर्म - रहस्य पुस्तक के कुछ अंश
कर्म- - रहस्य
पुरुष और प्रकृति — ये दो हैं। इनमेंसे पुरुषमें कभी परिवर्तन नहीं होता और प्रकृति कभी परिवर्तनरहित नहीं होती । जब यह पुरुष प्रकृतिके साथ सम्बन्ध जोड़ लेता है, तब प्रकृतिकी क्रिया पुरुषका 'कर्म' बन जाती है; क्योंकि प्रकृतिके साथ सम्बन्ध माननेसे तादात्म्य हो जाता है। तादात्म्य होनेसे जो प्राकृत वस्तुएँ प्राप्त हैं, उनमें ममता होती है और उस ममताके कारण अप्रोप्त वस्तुओंकी कामना होती है। इस प्रकार जबतक कामना, ममता और तादात्म्य रहता है, तबतक जो कुछ परिवर्तनरूप क्रिया होती है, उसका नाम 'कर्म' है ।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
कर्म - रहस्य / Karm - Rahasya PDF | |
स्वामी रामसुखदास / Swami Ramsukhdas | |
Hindi | |
Religion & Spirituality |
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