Bhojpuri Lok-Geet Me Karun Ras |
Some Excerpts From the Book Bhojpuri Lok-Geet Me Karun Ras
Etymology and Antiquity of Bhojpuri
Buxar Sub Division in Shahabad District has a Major Pargana named Bhojpur. The name of the pargana as Bhojpur is derived from two small villages named 'Navka Bhojpur' and 'Puranka Bhojpur' near the Ganges, two or three miles north of the capital Dumraon. The name of the language spoken in and around this Bhojpur pargana is Bhojpuri, which is spoken today in far-flung districts.
Bhojpur district was also there in 1781 AD. Not even the district
The name of this dialect is taken from Bhojpuri ancient city named Bhojpur. This city was situated in Shahabad district, just a few miles south of the Ganges, which was 60 miles from Patna. Shraj Din is a small village but was once the capital of powerful Rajputs. Whose leadership is at present the Maharaja of Dumraon and who is a follower of Kundhar Singh, the leader of the revolt of 1857. The readers of 'Sahrul Shrakhatrin' know that Aurangzeb's subedars also had to try to suppress the kings of Bhojpur, but even then they did not suppress. , In the area of Bhojpuri, the spirit of ancient Hinduism is also very strong and the number of Muslims is very less in front of the Hindu population. Along with the Rajputs, the power of the Brahmins and elsewhere the Bhumihars is strong.By clicking on the link given below, you can download the written book Bhojpuri Lok-Geet Me Karun Ras in PDF.
भोजपुरी लोक-गीत में करुण रस पुस्तक के कुछ अंश
भोजपुरी की व्युत्पत्ति और प्राचीनता
शाहाबाद जिले में बक्सर सब डिवीजन में भोजपुर नाम का एक बड़ा परगना है। परगने के भोजपुर नाम होने ही व्युत्पत्ति डुमराँव राजधानी से दो तीन मील उत्तर गंगा के निकट 'नवका भोजपुर, और 'पुरनका भोजपुर' नामक दो छोटे गाँवों से होती है। इसी भोजपुर परगने और इसके आस-पास में बोली जाने वाली भाषा का नाम भोजपुरी है जो आज बहुत दूर दूर के जिलों तक में बोली जाती है ।
सन् १७८१ ई० में भोजपुर जिला भी था । जिला ही तक नहीं सदूर
' इस बोली का नाम भोजपुरी प्राचीन भोजपुर नामक नगर से लिया गया है । यह नगर शाहाबाद जिले में गंगा के दक्षिण कुछ मील पर ही बसा था जिसकी दूरी पटना से ६० मील थी । श्राज दिन तो यह छोटा सा गाँव है किन्तु किसी समय में शक्ति शाली राजपूतों की राजधानी था। जिनके अगुश्रा इस समय डुमरांव के महाराज हैं और जो सन् १८५७ के क्रान्ति के नेता कुँधरसिंह के अनुगामी हैं। 'सहरुल श्राखतरीन' के पढ़ने वाले जानते हैं कि औरंगज़ेब के सूबेदारों को भी भोजपूर के राजाओं को दबाने का प्रयत्न करना पड़ा था किन्तु तिस पर भी ये नहीं दबे । ॥ भोजपुरी के क्षेत्र में प्राचीन हिन्दूधर्म की भावना श्राज भी बड़ी प्रबल है और हिन्दू जन संख्या के सामने मुसलमानों की संख्या बहुत ही कम है। राजपूतों के साथ ब्राह्मणों और कहीं कहीं भूमिहारों की सत्ता ही प्रबल है ॥
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
भोजपुरी लोक-गीत में करुण रस / Bhojpuri Lok-Geet Me Karun Ras PDF | |
दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह / Durgashankar Prasad Singh | |
Hindi | |
साहित्य / Literature |
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