Some Excerpts From the Book Path Ki Pukar
Mahasati ji has given this short story in the form of a beautiful Prabandha Poetry in a language full of prasad qualities. The whole arrangement is divided into eleven panels. The poetic talent of the poet is reflected in the title of each panel. Due to the understanding of the research of management poetry, all the elements of management have been included in this poem. The purpose of Mahasati ji has been to display the glory of Jainism and philosophy along with creating poetry, in which she has got enough success. The sustenance of the era religion is fully formed in this work. You have given a new color to environment improvement, addiction free society, importance of women etc. The main aim of human life is the welfare of the soul. For this to happen, the feet will have to move by listening to the "call of the path". This Prabandha Poetry, which is filled with calm rasa, has progressed from table to table with the help of other rasas.
While fulfilling the custom of invocation, you have worshiped Panch Parmeshthi in the beginning of the poem and wished that with his blessings this poem could reach the goal at uninterrupted speed. It is written for Kanakpuri in the city description -
Kanakpuri is the city in this Bharat. The shadow of heaven descended on the earth.
Along with the description of the city, the description of Raj Bhavan, Antpur, Garden, Sarovar, Forest Province, Samavasaran etc. has been described in a nutshell. Protection of environment is an important need of the present era. The citizens of Kanakpuri always consider it their duty to protect the environment.
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पथ की पुकार पुस्तक के कुछ अंश
इस संक्षिप्त कथानक को महासती जी ने प्रसाद गुण सम्पन्न भाषा में सुन्दर प्रबन्ध काव्य का रूप दिया है। पूरा प्रबन्ध ग्यारह पटल में विभाजित है। प्रत्येक पटल के शीर्षक में ही कवयित्री की काव्य प्रतिभा के दर्शन होते हैं। प्रबन्ध काव्य के शोध का बोध होने के कारण प्रबन्ध के सभी तत्वों का समावेश इस काव्य में हुआ है। महासती जी का उद्देश्य काव्य रचना के साथ साथ जैन धर्म एवं दर्शन की महिमा को प्रदर्शित करना भी रहा है जिसमें उन्हें पर्याप्त सफलता मिली है। युग धर्म का निर्वाह इस कृति में पूरी तरह बन पड़ा है। पर्यावरण सुधार, व्यसन मुक्त समाज, नारी की महत्ता आदि को आप श्री ने नया कलेवर प्रदान किया है। मानव जीवन का प्रमुख उद्देश्य आत्मा का कल्याण करना है। यह कल्याण कैसे हो इस हेतु "पथ की पुकार" को सुनकर पाँवों को गति देनी होगी। शान्त रस से ओत प्रोत यह प्रबन्ध काव्य अन्य रसों के सहयोग से पटल दर पटल आगे बढ़ा है।
मंगलाचरण की रूढ़ी का निर्वाह करते हुए आपने काव्य के प्रारम्भ में पंच परमेष्ठी को वंदन किया है तथा मंगल कामना की है कि उनके • आशीर्वाद से यह काव्य अबाध गति से लक्ष्य तक पहुँच सके। नगर वर्णन में कनकपुरी के लिए लिखा है -
इसी भरत में कनकपुरी है नगरी । ले छटा स्वर्ग की मानो भू पर उतरी ॥
नगर वर्णन के साथ ही राजभवन, अन्तःपुर, उद्यान, सरोवर, वन प्रांतर समवसरण आदि का सरस वर्णन किया है। पर्यावरण की सुरक्षा वर्तमान युग की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। कनकपुरी के नागरिक पर्यावरण की सुरक्षा सदैव ही अपना कर्त्तव्य समझ कर करते हैं
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
पथ की पुकार / Path Ki Pukar PDF | |
महासती श्री कमला कुमारी / Mahasati Shri Kamla Kumari | |
Hindi | |
Adhyatm |
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