Mantra Mahodadhi |
मंत्र महोदधि : शुक्र चतुर्वेदी द्वारा हिन्दी पीडीएफ़ पुस्तक | Mantra Mahodadhi PDF Hindi Book
मन्त्र साधना एवं सिद्धान्त साधना शब्द का अर्थ अत्यन्त व्यापक है । कोई भी कार्य हो उसी का एक साधन तथा एक साधना होती है । आगम ग्रंथों के अनुसार वे सब पदार्थ जो सिद्धि के अनु कूल होते हैं, साधन कहलाते हैं तथा उनका अवलम्बन या उन पर आचरण करना ही साधना है। कुछ आचार्यों के अनुसार साधक द्वारा साध्य की प्राप्ति के लिए किया जाने वाला प्रयत्न साधना कहलाता है। तथा इस साधना के उपयोगी उपकरणों को साधन कहते हैं । वस्तुतः साधन एवं साधना ये दोनों आध्यात्मिक शब्द हैं। इन दोनों के द्वारा साधक दुःखत्रय से मुक्त होकर सुख या आनंद प्राप्त करता है। आनन्द या सुख कैसे प्राप्त हो सकता है - इस विषय में आध्यात्मवाद एवं जड़ वाद में भारी अन्तर है । संसार के सभी लोग सुख की इच्छा करते हैं। वे सुख की खोज ही नहीं करते, अपितु उसे प्राप्त करने के लिये प्राणपण से प्रयत्न भी करते हैं। किन्तु उन्हें स्थायी सुख प्राप्त नहीं होता । दीर्घकालीन प्रयास के बाद ज्योंही हम सुख का स्पर्श करते हैं क्यों हो वह मानव में विलीन हो जाता है। जब कभी भी हमें इच्छित वस्तु मिल जाती है तो हम फूले नहीं समाते, और जब वह हमारे हाथों से चली जाती है तो हम गम्भौर शोक एवं चिन्ता के सागर में डूब जाते हैं । इतना ही नहीं, इच्छित वस्तु मिल जाने पर भी यह सुख कुछेक क्षणों तक ही अनुभव का विषय बनता है, फिर अपने आप मन में नवीन इच्छाएं बेचनी उत्पन्न
कर देती हैं।। सुख कब और कैसे मिलता है - इस विषय में प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने यह मंत्र बतलाया है :
लाभ (Achievement ) आशा (Expectation) तात्पर्य यह है कि जब मनुष्य की आशा (तृष्णा) कम हो तथा लाभ अधिक हो तो उसे आनन्द मिलता है, और जब उसकी आशा (तृष्णा) अधिक
= आनन्द ( Satisfaction)
तथा लाभ कम
- पुस्तक के लेखक/ Author of Book : Pandit Jibananda Vidyasagara
- श्रेणी / Categories : हिंदू , धर्म
- पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी /hindi
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ReplyDeleteThank you for contacting us problem fixed
Deleteधन्यवाद 🙏
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