Nitya Karma Puja Prakash |
नित्य कर्म पूजा प्रकाश : गीता प्रेस हिंदी पुस्तक | Nitya Karma Puja Prakash : Geeta Press Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :
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नित्य कर्म पूजा प्रकाश के बारे में और अधिक जानकारी
इस पुस्तक में व्यक्ति के लौकिक और पारलौकिक उत्थान के लिये तथा नित्य-नैमित्तिक काम्य कर्मों के सम्पादन के लिये शास्त्रीय प्रक्रिया प्रस्तुत की गयी है। इसमे प्रातःकालीन भगवत्स्मरण से लेकर स्नान, ध्यान, संध्या, जप, तर्पण, बलिवैश्वदेव, देव-पूजन, देव-स्तुति, विशिष्ट-पूजन-पद्धति, पञ्चदेव-पूजन, पार्थिव-पूजन, शालग्राम-महालक्ष्मी-पूजन की विधि तथा अन्त में नित्यस्मरणीय स्तोत्रों का संग्रह है।
नित्यकर्म-पूजाप्रकाश
लम्बोदरं परमसुन्दरमेकदन्तं रक्ताम्बरं त्रिनयनं परमं पवित्रं । उद्यदिवाकरनिभोज्ज्वलकात्तिकान्तं विश्वरं सकलविघ्नहरं गृहस्थ के नित्य कर्म का फल-कथन अथोच्यते गृहस्थस्य नित्यकर्म नमामि ॥ यथाविधि । यत्कृत्वानृण्यमाप्नोति दैवात् पैत्र्याच्च मानुषात् ।।
(आश्वलायन)
शास्त्र विधि के अनुसार गृहस्थ का नित्यकर्म का निरूपण किया जाता है, जिसे करके मनुष्य देव-सम्बन्धी, पितृ-सम्बन्धी और मनुष्य-सम्बन्धी तीनों ऋणोंसे मुक्त हो जाता है। 'जायमानो वै ब्राह्मण स्त्री भित्रणवा जायते' ( तै सं० ६।३।१०। ५) के अनुसार मनुष्य जन्म लेते ही तीन ऋणोंवाला हो जाता है। इससे अनृण होनेके लिये शास्त्रों नित्यकर्म का विधान किया है । नित्यकर्म में शारीरिक शुद्धि, सन्ध्या वन्दन, तर्पण और देव-पूजन प्रभृति शास्त्रनिर्दिष्ट कर्म आते हैं। इनमें मुख्य निम्नलिखित छः कर्म बताये गये हैं
1.सन्ध्या स्नानं जपश्चैव देवतानां च पूजनम् ।
वैश्वदेवं तथाऽतिथ्यं षट् कर्माणि दिने दिने ।।
(बृपा स्मृ० १ । ३९) मनुष्य को स्नान, संध्या, जप, देवपूजन, बलिवैश्वदेव और अतिथि संस्कार—ये छः कर्म प्रतिदिन करने चाहिए।
१-यहाँ स्नान शब्द स्नान-पूर्व के सभी कृत्योंके लिये उपलक्षक-रूपमें निर्दिष्ट है। 'गाठ क्रमादर्थक्रमो बलीयान् के आधारपर प्रथम स्नान के पश्चात् संध्या समझनी चाहिये ।
- पुस्तक के लेखक/ Author of Book : Gita press
- श्रेणी / Categories : हिंदू , धर्म
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