साका ननकाना साहिब इन हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Saka Nankana Sahib PDF Download Free
Saka Nankana Sahib Book in PDF Download
Common people who are not aware of Sikh history, at times put a question mark on the footprints put by the Sikh elders. It is impossible for them to give up their life in a boiling cauldron, to get their skulls removed from the rabbis, to go to the foundations, to get them separated, to go alive with a saw, etc. is impossible. This is not the situation now, 57 from today? Years ago also common people used to think so. At that time such an incident happened which not only repeated the past history but also shook the world. come! Think about that today.
Nankana Sahib is the birth place of Satguru Nanak Dev Ji. That is why it has a ceremonial place in the Gurdwaras. The Nankana Sahib incident happened in the early 19th century. While it refreshed the memory of ancient Sikh history, it also established special footprints for the times to come. To understand this incident at the birth place of Gurdwara in Nankana Sahib, we have to have a rough look at Gurdwara reform movement or Akali movement and the condition before that.
The period of sixty-seventy years after Shri Guru Gobind Singh ji was a very difficult test for the Khalsa. The government was bent on erasing the Khura search of the Khalse. The royal orders were issued in these words 'Nanak Parastan Ra Har Ja Ki Baide Ba Katl Rasaned'.
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आम लोग जो सिख इतिहास से अवगत नहीं हैं, कई बार सिख बजुर्गो द्वारा डाले गए पदचिन्हों पर प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं। उनके लिए उबलती देग में प्राण त्यागना, रबियों से खोपड़ियां उतरवाना, नीवों में चिने जाना, बंद बंद जुदा करवाना, आरे से जिंदा जी चिर जाना आदि असंभव है । यह अब की दशा नहीं, आज से 57? वर्ष पूर्व भी आम लोग ऐसा ही सोचा करते थे । उस समय एक ऐसा कांड हुआ जिस ने पिछले इतिहास को दोहराया ही नहीं बल्कि दुनियां को हिला कर रख दिया । आओ! उस पर आज विचार करें ।
ननकाणा साहिब सतगुरु नानक देव जी का जन्म स्थान है । इसलिए गुरद्वारों में इस का शिरोमणी स्थान है। ननकाणा साहिब का कांड 19वीं शताब्दी में आरंभ में हुआ। इसने जहां पुरातन सिख इतिहास की याद को ताजा कर दिया वहीं आने वाले समय के लिए भी विशेष पद चिन्ह स्थापित कर दिए । ननकाणा साहिब में गुरद्वारा जन्म स्थान पर हुए इस कांड को समझने के लिए हमें गुरद्वारा सुधार आंदोलन या अकाली आंदोलन व उस से भी पहले की दशा पर एक मोटी सी नजर मारनी होगी ।
श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी के पश्चात साठ-सत्तर वर्ष का समय, खालसा के लिए बहुत करड़ी परीक्षा का समय था । हुकूमत खालसे का खुरा खोज मिटा देने पर तुली हुई थी। शाही हुकम इन शब्दों में जारी किये हुए थे 'नानक परस्तां रा हर जा कि बाइदे बा कत्ल रसानेद'।
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