गर्भ गीता हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Garbh Geeta PDF Download Free
Some Excerpts From the Book Garbh Geeta
Ath Garbh Gita
It is the word of Shri Krishna Bhagwan ji that the person who meditates on this Garbh Gita with good faith, that person does not come again in pregnancy.
Arjunovach - Oh Lord Krishna! This creature that comes in the womb. Because of what fault does he come? Oh Lord! When it is born, then it gets minor diseases. Then there is death. O lord! What is that action by which a living being becomes free from birth and death?
Sri Bhagwanovach - O Arjuna! This man who is he is blind and foolish who loves the world. I have found this thing and I will get it, such worry does not go away from the mind of this creature. At eight o'clock he only asks for Maya. By doing these things one is born and dies again and again. He continues to suffer from pregnancy.
Arjunovach - Oh Lord Krishna! this mind item
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गर्भ गीता पुस्तक के कुछ अंश
अथ गर्भ गीता
श्री कृष्ण भगवान् जी का वचन है कि जो प्राणी इस गर्भ गीता का सद्भावना से विचार मनन करता है वह पुरुष फिर गर्भवास में नहीं आता है।
अर्जुनोवाच- हे कृष्ण भगवान् ! यह प्राणी जो गर्भ-वास में आता है। वह किस दोष के कारण आता है ? हे प्रभु जी! जब यह जन्मता है, तब इसको जरा आदि रोग लगते हैं। फिर मृत्यु होती है। हे स्वामी! वह कौन-सा कर्म है जिसके करने से प्राणी जन्म मरण से रहित हो जाता है ?
श्री भगवानोवाच- हे अर्जुन! यह मनुष्य जो है सो अन्धा व मूर्ख है जो संसार के साथ प्रीति करता है। यह पदार्थ मैंने पाया है और वह मैं पाऊँगा, ऐसी चिन्ता इस प्राणी के मन से उतरती नहीं। आठ पहर माया को ही मांगता है। इन बातों को करके बार-बार जन्मता और मरता है। वह गर्भ विषे दुःख पाता रहता है।
अर्जुनोवाच- हे श्री कृष्ण भगवान् ! यह मन मद
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