कुंडली दर्पण हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Kundali Darpan PDF Download Free
Some Excerpts From the Book Kundali Darpan
After sunrise, till the time of birth, yanmita gata. Horadayah Panchagunaste Dwibhaktaah Phalam Hi Yat..6. Ghatyadik: sa aveshtakalo janmangammulakah horayoga: savdhanairih karyo budhaiah always 7॥
The number of hours and minutes elapsed from sunrise to the time of birth, multiply that number by 5 and divide the product by two, then the gain is the same as the birth time. This is the root (base) of all the horoscopes that fall in favor. All the results depend on this, so its purification must be done with full thoughts, otherwise all efforts are in vain due to its impurity. Care is also needed for how many hours and minutes have elapsed till the time of birth, there is a day of 24 hours, which ends in two frequencies by the prevailing Ghati Yantra (Clock) i.e. 12 hours from midnight to advance day-mid then after that 1, 2, 3, 12 hours in advance till midnight, but on the basis of our traditional principle, we have to consider the few moments that have elapsed from the beginning of sunrise and the beginning of the sunrise till the time of birth, that is the same, so for its knowledge (1) if If there is a birth within the meridian (in the day), then directly subtracting the hour-minute of sunrise from the hour-minute of the birth time will bring the hour-minute between the two times, divide this by 5 times and divide it by 2, the same will be desired. (2)
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कुंडली दर्पण पुस्तक के कुछ अंश
सूर्योदयाज्जन्मकालपर्यन्तं यन्मिता गताः । होरादयः पञ्चगुणास्ते द्विभक्ताः फलं हि यत् ।।६।। घट्यादिकः स एवेष्टकालो जन्माङ्गमूलकः होरायोगः सावधानैरिह कार्यो बुधैः सदा ॥७॥
सूर्योदय से आरम्भ कर जन्मकाल तक जितने घण्टा-मिनट बीतें हों उस संख्या को ५ गुणा कर गुणनफल में दो से भाग दें तब जो लब्धि वही जन्म कालिक इष्टपटी होती है। यहीं इष्ट घटी सारी जन्मकुण्डली का मूल (आधार) होती है। सारा फलादेश इसी पर निर्भर रहता है, अतः इसकी शुद्धि यावच्छक्य पूरे विचारों के साथ अवश्य कर लेने चाहिये, अन्यथा इसके अशुद्ध रहने से सभी परिश्रम व्यर्थ होते हैं "छित्रे मूले नैव शाखा न पत्रम्" इसकी शुद्धि के सम्बन्ध में कुछ उपाय दिखलावेगें। जन्मसमय तक कितने घण्टा-मिनट बीते हैं इसके लिए भी सावधानता की आवश्यकता है २४ घण्टे का दिन होता है, जिसकी समाप्ति प्रचलित घटीयन्त्र (घड़ी) के द्वारा दो आवृत्तियों में होती है अर्थात् मध्यरात्रि से अग्रिम दिन-मध्य तक १२ घण्टा फिर उसके बाद से १, २, ३, क्रम से अग्रिम मध्यरात्रि तक १२ घण्टा, परन्तु हमको अपने परम्परागत सिद्धान्त के आधार पर सूर्योदय काल में दिनारम्भ एवं दिनारम्भ से जन्मकाल पर्यन्त जितने घटी-पल बीते हैं उसीको इष्टघटी मानना है अतः इसके ज्ञान के लिए (१) यदि मध्याह्न के भीतर (दिन में) जन्म है तो सीधे जन्म कालिक घण्टा-मिनट में सूर्योदय का घण्टा-मिनट घटाने से दोनों समय के बीच का घण्टा-मिनट आ जायगा, इसीको ५ गुना कर २ से भाग दीजिए वही इष्टघटी होगी। (२)
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