Some Excerpts From the Book Rashtra – Bhasha – Hindi
The visions of the Hindi literature and sky are counted in the astrologers of world literature. Except Sanskrit, Graz also could not go ahead of Hindi in the volume expansion or originality of any Indian third language. The only reason for this is that whatever is there as a ruler, and whatever his policy may be; Hindi is the language of a large section of the Indian population. The soul of Indian culture has been continuously energizing the talent of Hindi writers, in his works, the hopes, aspirations and wishes of crores of Indians are expressed. I do not understand the fact that any person who will fall in love with Indian culture will not adopt this language. Bangla, Gujarati, Pashto or Tamil also partly express Indianness, but historical reasons have given Hindi the distinction of being the cosmopolitan language of India.
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राष्ट्र – भाषा -हिन्दी पुस्तक के कुछ अंश
हिन्दी के साहित्य-गगन के नक्षन्न विश्व - साहित्य के ज्योतिषपुन्जों मे परिगणित होते हैं। संस्कृत को छोड़कर ग्राज भी किसी भी भार तीय भाषा का०वाङ्मय विस्तार या मौलिकता में हिन्दी के आगे नहीं जा सका। इसका एक मात्र कारण यह है कि शासक के नाते जो हो, और उसकी नीति चाहे जैसी हो; हिन्दी भारतीय जनता के एक बहुत बड़े भाग की अपनी भाषा है। हिन्दी लेखकों की प्रतिभा को भारतीय संस्कृति की आत्मा निरन्तर स्फूर्ति देती रही है, उसकी कृतियों में करोड़ों भारतीयों की आशाओं, आकांक्षाओं इच्छा-विधानों की अभि व्यक्ति मिलती है। मैं इस बात को नहीं समझ पाता कि कोई भी व्यक्ति, जिसको भारतीय संस्कृति से प्रेम होगा, इस भाषा को अंगीकार न करेगा। बंगला, गुजराती, पश्तो या तामिल भी अंशतः भारतीयता को श्रभिव्यंजित करती हैं, परन्तु ऐतिहासिक कारणों ने हिन्दी को ही भारत की सार्वदेशिक भाषा होने का गौरव प्रदान किया है।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
Rashtra – Bhasha – Hindi | राष्ट्र – भाषा -हिन्दी PDF | |
Hindi | |
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