भविष्य पुराण हिंदी | Bhavishya Puran Hindi |
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Vyasa disciple Maharishi Sumantu and King Shatanikka's dialogues, the glory and tradition of the prophecy, the creation story, the four Vedas, the Puranas and the origin of the four varnas, the Chaturvidhi
Creation, Time Count, Number of Yugas, Their Religion and Rites
Narayanam Namascharya Naran Chave Narottamam. Devi Saraswatiyan Vyasanto Jayamudirayet Salute the famous sages Srinarayan and Shrinar (Lord Shri Krishna as Antaryami Narayana and Narashreshtha Arjuna as his eternal friend), Bhagwati Saraswati revealing his Leela, and Maharishi Ved Vyas, the speaker of his pastimes, and destroying the demonic possessions of the demons of the demonic possessions. , Mahabharata and all other history Puranadi Sadgranthas should be read.
Jayati Parasharsoonu: Satyavatihridayanandano Vyasa: Yasyasikamalagalitam vamayamamritam jagat pibati॥
'Hail Lord Vyasaki, who rejoices the heart of the son of Parashar and Satyavati, whose amritamayi vaanika, emanating from his mouth, fulfills this whole world.'Saintly future
'The virtuous scholar who knows the Vedadi scriptures and is a penetrating scholar of many subjects, gets the virtue that comes from donating hundreds of cows with golden jagged horns, just as much virtue is attained by listening to the best stories of this prophetess.'
At one time Vyasji's disciples Maharishi Sumantu and Vasistha, Parashar, Jaimini, Yajnavalkya, Gautama, Vaishampayan, Shaunak, Agira and Bharadwajadhi went to the great Mahabashali king Shatanikki in the Pandava dynasty. The rulers duly welcomed those sages for the first time and made them sit on fine rugs and worshiped them well and prayed in such a way - 'O Mahatmas! My birth was successful with your arrival. Man becomes holy only by his remembrance of you, then you
Yo Goshatkam Kanskrishgamayam has come here to give Dadati darshan, so today I am Vipraya Vedavidushe f multi-sided. Blessed.
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नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् । देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ॥
'बदरिकाश्रमनिवासी प्रसिद्ध ऋषि श्रीनारायण तथा श्रीनर ( अन्तर्यामी नारायणस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण तथा उनके नित्य-सखा नरस्वरूप नरश्रेष्ठ अर्जुन), उनकी लीला प्रकट करनेवाली भगवती सरस्वती और उनकी लीलाओंके वक्ता महर्षि वेदव्यासको नमस्कार कर जय- आसुरी सम्पत्तियोंका नाश करके अन्तःकरणपर दैवी सम्पत्तियोंको विजय प्राप्त करानेवाले वाल्मीकीय रामायण, महाभारत एवं अन्य सभी इतिहास पुराणादि सद्ग्रन्थोंका पाठ करना चाहिये।'
जयति पराशरसूनुः सत्यवतीहृदयनन्दनो व्यासः । यस्यास्यकमलगलितं वाङ्मयममृतं जगत् पिबति ॥
'पराशरके पुत्र तथा सत्यवतीके हृदयको आनन्दित करनेवाले भगवान् व्यासकी जय हो, जिनके मुखकमलसे निःसृत अमृतमयी वाणीका यह सम्पूर्ण विश्व पान करता है।'
पुण्यां भविष्यसुकथां शृणुयात् समग्र पुण्यं समं भवति तस्य च तस्य चैव ॥
'वेदादि शास्त्रोंकि जाननेवाले तथा अनेक विषयोंक मर्मज्ञ विद्वान् ब्राह्मणको स्वर्णजटित सींगोंवाली सैकड़ों गौओंको दान देनेसे जो पुण्य प्राप्त होता है, ठीक उतना ही पुण्य इस भविष्यमहापुराणकी उत्तम कथाओंके श्रवण करनेसे प्राप्त होता है।'
एक समय व्यासजीके शिष्य महर्षि सुमन्तु तथा वसिष्ठ, पराशर, जैमिनि, याज्ञवल्क्य, गौतम, वैशम्पायन, शौनक, अङ्गिरा और भारद्वाजादि महर्षिगण पाण्डववंशमें समुत्पन्न महाबलशाली राजा शतानीककी सभामें गये। राजाने उन ऋषियोंका अर्ध्यादिसे विधिवत् स्वागत सत्कार किया और उन्हें उत्तम आसनोंपर बैठाया तथा भलीभाँति उनका पूजन कर विनयपूर्वक इस प्रकार प्रार्थना की- 'हे महात्माओ! आप लोगों के आगमनसे मेरा जन्म सफल हो गया। आपलोगोंके स्मरणमात्र ही मनुष्य पवित्र हो जाता है, फिर आपलोग मुझे
यो गोशतं कनकशृङ्गमयं ददाति दर्शन देनेके लिये यहाँ पधारे हैं, अतः आज मैं विप्राय वेदविदुषे च बहुश्रुताय । धन्य हो गया।
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भविष्य पुराण हिंदी | Bhavishya Puran Hindi | |
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