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| Kamayani (Jai Shankar Prasad) Hindi Book PDF |
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Monday, May 29, 2023
कामायनी (जयशंकर प्रसाद) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Kamayani (Jai Shankar Prasad) Hindi Book PDF
Wednesday, May 3, 2023
हिन्दी व्याकरण किताब | Hindi Grammar Book PDF
More information about Hindi Grammar Book PDF
| पुस्तक का नाम (Name of Book) | हिन्दी व्याकरण किताब | Hindi Grammar Book PDF |
| पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Anonymous |
| पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
| पुस्तक का आकार (Size of Book) | 21 MB |
| पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 696 |
| पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Educational Books |
Excerpts From the Book :-
हिंदी व्याकरण का एक संक्षिप्त इतिहास खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! यह ब्लॉग पोस्ट पिछले सौ वर्षों में हिंदी व्याकरण के इतिहास की पड़ताल करता है, उप-भाषाओं की उपस्थिति और उर्दू के संपर्क के कारण व्यापक नियम बनाने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करता है। प्रामाणिक व्याकरण के महत्व और साहित्यिक भाषा को सुरुचिपूर्ण, स्पष्ट और प्रामाणिक बनाने में लेखकों की भूमिका के बारे में जानें। हिंदी भाषी लेखकों और शिक्षकों के लिए लिखी गई इस पोस्ट का उद्देश्य विषय में रुचि आकर्षित करना और हिंदी व्याकरण की समझ का विस्तार करना है। हिंदी व्याकरण की आकर्षक दुनिया के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें!
हिंदी, भारत में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, जिसका व्याकरण समृद्ध और जटिल है। हालाँकि, पिछले सौ वर्षों में हिंदी के कई व्याकरण लिखे जाने के बावजूद, इस बात पर अभी भी कोई सहमति नहीं है कि भाषा का एक आधिकारिक व्याकरण क्या है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम हिंदी व्याकरण के इतिहास में तल्लीन करते हैं, भाषा के लिए व्यापक नियम बनाने में व्याकरणविदों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हैं। हम हिंदी व्याकरण के विकास में अन्य भाषा बोलने वाले भारतीयों के प्रभाव और शिक्षित समाज द्वारा स्वीकार किए जा सकने वाले एक प्रामाणिक व्याकरण की आवश्यकता का पता लगाते हैं।
इसके अलावा, हम कई वर्षों से हिंदी में कई उप-भाषाओं और उर्दू के साथ इसके संपर्क से उत्पन्न चुनौतियों की जांच करते हैं, जिसने भाषा की रचना शैली को अस्थिर और वर्गीकृत करना मुश्किल बना दिया है। हम इन कठिनाइयों को बढ़ाने में अहंकारी लेखकों की भूमिका और भाषा की अखंडता को बनाए रखने के लिए व्याकरण के नियमों के उचित अभ्यास की आवश्यकता पर भी चर्चा करते हैं।
You can download Hindi grammar book PDF by the link given below.
Monday, May 1, 2023
Stories of Panchatantra in Hindi
Description of Book:-
| Name of Book | Panchtantra Hindi-Sanskrit PDF |
| Name of Author | Vishnu Sharma |
| Language of Book | Hindi |
| Size of Book | 14 MB |
| Total pages in Ebook | 536 |
| Category of Book | Stories |
Excerpts From the Book:-
Just as India is a storehouse of many knowledge, in the same way the policy system here is also unique, living in a world that has been deprived of ethics. As if he did not know much and in a way his arrival in the world is futile, our great ancestor of this country, the great man of divine nature Trika Lagya Mahayagi Acharya took birth in the glory of his infinite knowledge knowing this world to be eternal and with his unattainable power of yoga, he made the entire system of Brahma and Brahmavi to be formulated. Since then, many kings have appeared and disappeared on this earth, and many times the world has changed on Vasumbara and how many times the masses have changed, but the whole book created by the yogic power of those great sages is shining like a pole,
Due to these gems of his knowledge, till date this land of India is known as Jagatma Ratna Bhandar, among those priceless gems, this ethical book "Panch" Tantra" is a unique gem, its creator is Mahapandit Vishnusharma. He is a great scholar of very ancient times. Brihaspati, Shukra, Valmiki, Parashara, Vyasa, Chanakya have taken birth after a long time of Prabhriti Mahatmas, just as a bee creates unique honey by collecting nectar from many flowers.
In the same way, Vishnusharma has created the Panchatantra by taking essence from the scriptures of his predecessors, its teachings are useful to all human beings in all stages, whether Yogi, or a devotee, it is equally helpful to everyone. By this the Yogi attains Yogsiddhi, the enjoyer attains the power of pure enjoyment, the diseased sufferer attains peace, the mourner attains Shakshantiko. King, subjects, householder, ascetic, scholar, fool, rich, poor, child, old, young, eager, everyone is soothing like a loving mother.
By the link given below, you can download Stories of Panchatantra in Hindi.
गुनाहों का देवता फुल स्टोरी PDF | Gunaho Ka Devta Full Story Hindi Book PDF
गुनाहों का देवता फुल स्टोरी pdf | Aghori Tantra PDF Download Free
गुनाहों का देवता पीडीएफ में डाउनलोड करे
धर्मवीर भारती द्वारा रचित 'गुनाहों का देवता सबसे बेहतर किताब है , इसे मैंने कम से कम 5 बार तो जरूर पढ़ी थी , जिन जिन लोगो ने पढ़ी सबको पसन्द आई , इस उपन्यास में एक अनोखा प्यार झलकता है ।
गुनाहों का देवता उपन्यास की गिनती हिंदी साहित्य जगत में उन रचनाओं में होती है जिन्होंने साहित्य की धारा को ही एक नया मोड़ दिया है। प्रथम प्रकाशन के 65 साल बाद भी यह सबसे ज्यादा मांग में रहने वालों उपन्यासों में से एक है ।इतने वर्ष के बाद भी अगर यह उपन्यास लोगों की निगाहों में बना हुआ है तो इसमें कुछ तो बात होगी और सचमुच प्रेम का इतना प्राकृतिक और वास्तविक वर्णन मैंने और कहीं नहीं पढ़ा और कहीं नहीं सुना। उपन्यास के शुरुआत में ही भारती जी कहते हैं कि "मेरे लिए इस उपन्यास का लिखना वैसा ही रहा है, जैसा पीड़ा के क्षणों में पूरी आस्था से प्रार्थना करना और इस समय भी मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे मैं प्रार्थना मन ही मन दोहरा रहा हूं, बस।"
इस कहानी का ठिकाना अंग्रेज ज़माने का इलाहाबाद रहा है। कहानी के तीन मुख्य पात्र हैं : चन्दर , सुधा और पम्मी। पूरी कहानी मुख्यतः इन्ही पात्रों के इर्दगिर्द घूमती रहती है। चन्दर सुधा के पिता यानि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के प्रिय छात्रों में है और प्रोफेसर भी उसे पुत्र तुल्य मानते हैं। इसी वजह से चन्दर का सुधा के यहाँ बिना किसी रोकटोक के आना जाना लगा रहता है। धीरे धीरे सुधा कब दिल दे बैठती है, यह दोनों को पता नहीं चलता। लेकिन यह कोई सामान्य प्रेम नहीं था। यह भक्ति पर आधारित प्रेम था। चन्दर सुधा का देवता था और सुधा ने हमेशा एक भक्त की तरह ही उसे सम्मान दिया था। यह ‘विराटा की पद्मिनी’ के कुंजरसिंह और पद्मिनी की सदृश प्रेम था।
चन्दर पूरे समय आदर्शवादी बना रहा। उसे सदैव यह लगता था कि जिन प्रोफेसर ने उसे इतना प्यार दिया, अपने बेटे की तरह रखा उन्हीं की बेटी से अगर वह प्यार कर बैठता है तो उन पर क्या गुजरेगी। इसी उधेड़बुन में वह कभी तैयार नहीं हो पाता है। चन्दर के माध्यम से भारती जी ने एक मध्यम वर्ग के नौजवान की मानसिक स्थिति का वर्णन किया है जिसमें उसे सामाजिक और पारिवारिक अपेक्षाओं के आगे अपनी इच्छाओं की बलि देनी पड़ती है। साथ ही साथ प्रचलित मार्ग पर ही चलना पड़ता है, नए मार्ग पर चलने पर मानहानि का डर भी सताता रहता है। चन्दर हमेशा पसोपेश में रहता है कि क्या करना उचित रहेगा। चन्दर समाज के हर एक बंधन से बंधा था जो कि हमेशा उसे अपने मन की करने से रोक देते थे। यही एक गुनाह चन्दर ने किया था जिसके कारण वह गुनाहों का देवता हो गया था। चन्दर की लाचारी इन वाक्यों से ही झलकती है :
“कुछ नहीं बिनती! तुम कहती हो, सुधा को इतने अन्तर पर मैंने रखा तो मैं देवता हूँ! सुधा कहती है, मैंने अन्तर पर रखा, मैंने पाप किया! जाने क्या किया है मैंने? क्या मुझे कम तकलीफ है? मेरा जीवन आजकल किस तरह घायल हो गया है, मैं जानता हूँ। एक पल मुझे आराम नहीं मिलता। क्या उतनी सजा काफी नहीं थी जो सुधा को भी किस्मत यह दण्ड दे रही है? मुझी को सभी बचैनी और दु:ख मिल जाता। सुधा को मेरे पाप का दण्ड क्यों मिल रहा है?”
सुधा वासना में पड़े बिना प्यार का निश्छल प्रतीक थी। उसकी बातों में सामाजिक तानाबाना के प्रति उसकी अनभिज्ञता और उनसे आज़ाद होने की इच्छा साफ़ झलकती थी। लेकिन कभी भी उसने अपने देवता यानी चन्दर की इच्छा के विपरीत कुछ नहीं किया। उसकी मासूमियत, उसका भोलापन चन्दर की ताकत थे। उसका अल्हड़पन चन्दर से कोई संकोच नहीं रखता था। वह व्यवहारिक नहीं थी, वह हर चीज के लिए प्रश्न करती थी कि ऐसा क्यों नहीं है। चन्दर भी उसे क्या जवाब देता। जो चीज सदियों से चली आई है, उसमें वह क्या ही कर सकता था। सुधा कहती भी है कि,
"गलत मत समझो चन्दर! मैं जानती हूँ कि मैं तुम्हारे लिए राखी के सूत से भी ज्यादा पवित्र रही हूँ लेकिन मैं जैसी हूँ, मुझे वैसी ही क्यों नहीं रहने देते! मैं किसी से शादी नहीं करूँगी। मैं पापा के पास रहूँगी। शादी को मेरा मन नहीं कहता, मैं क्यों करूँ? तुम गुस्सा मत हो, दुखी मत हो, तुम आज्ञा दोगे तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ, लेकिन हत्या करने से पहले यह तो देख लो कि मेरे हृदय में क्या है?"
पम्मी आधुनिक ज़माने की युवती है। पम्मी के माध्यम से भारती जी ने समाज की घिनौनी सच्चाइयों को आवाज दी है। उसके वाक्यों के माध्यम से लेखक ने जाने कितनी सच्चाइयों को कह डाला है। उसके लिए प्रेम की परिणति संबंधों में ही हो सकती है, वह कहती भी है कि, "मैं जानती थी कि हम दोनों के संबंधों में प्रारंभ से इतनी विचित्रताएं थीं कि हम दोनों का संबंध स्थायी नहीं रह सकता था, फिर भी जिन क्षणों में हम दोनों एक ही तूफान में फंस गए थे, वे क्षण मेरे लिए मूल्य निधि रहेंगे।" उसके और चन्दर के संबंधों में किसी प्रकार के आदर्शों का स्थान नहीं था। और शायद इसीलिए चन्दर और पम्मी के संवाद आदमी की मन:स्थिति, आदर्श और व्यवहारिकता में द्वंद्व को बहुत अच्छे से पेश करते हैं।
पूरी पुस्तक में संवाद सराहनीय हैं। प्रेम की अलग अलग परिस्थितयों के द्योतक हैं और उन स्थितियों का मानसिक विश्लेषण भी करते हैं। एक मध्यम वर्ग की दुविधाओं को भारती जी ने अपनी कलम के माध्यम से बहुत ही खूबसूरती से कागज पर उकेरा है। घटनाओं का चुनाव बहुत ही सावधानी से किया गया है। ऐसी विचारोत्तेजक और कालजयी रचना दशकों में एक बार ही आती है।
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके, आप लिखित पुस्तक गुनाहों का देवता पीडीएफ में डाउनलोड कर सकते हैं।
Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
गुनाहों का देवता | Gunaho Ka Devta PDF | |
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