महान आर्य हिन्दू जाति विनाश के मार्ग पर | Mahan Arya Hindi Jaati Vinash ke Marg par PDF in Hindi

 

महान आर्य हिन्दू जाति विनाश के मार्ग पर | Mahan Arya Hindi Jaati Vinash ke Marg par PDF in Hindi
 Mahan Arya Hindi Jaati Vinash ke Marg par 

महान आर्य हिन्दू जाति विनाश के मार्ग पर | Mahan Arya Hindi Jaati Vinash ke Marg par पुस्तक के बारे में विस्तृत जानकारी

इस हिंदी पुस्तक का नाम महान आर्य हिन्दू जाति विनाश के मार्ग पर | Mahan Arya Hindi Jaati Vinash ke Marg par है और इस पुस्तक के लेखक का नाम  Aacharya chatursen है। यह पुस्तक PDF फॉर्मेट में उपलब्ध है जिसका साइज 14 MB है और आप इसे नीचे दिए हुए लिंक से मुफ्त में डाउनलोड भी कर सकते हैं। इस पुस्तक में कुल 31 पृष्ठ हैं।

The Name of this Book is महान आर्य हिन्दू जाति विनाश के मार्ग पर | Mahan Arya Hindi Jaati Vinash ke Marg par and this Book is written by  Aacharya chatursen. The size of this book is 14 MB and if you want to read or download this PDF ebook in Hindi just click on the given link below and download this PDF Book which has 31 Pages and comes in the Religious category.

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 Aacharya chatursen

 HinduDharm books

 14 MB

 31

 

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महान् आर्य-हिन्दू जाति विनाश के मार्ग पर
भूतकाल
इसे कौन कह सकता है कि आर्यजाति का भूतकाल महान् नहीं था । आर्यजाति की दिग्विजय यात्रा भारत की सीमाओं में ही नहीं, भारत से बाहर चारों दिशाओं में थी। स्याम की राजधानी का नाम अयुध्या (अयुध्या) रखा गया, स्याम के राजा के नाम के साथ राम आज तक लगा आ रहा है। फिलीपाईन की संसद के बाहर दो विशाल मूर्तियाँ हैं जिनमें से एक आर्यजाति के आद्य न्यायमूर्ति भगवान् मनु की है। इन्डोनेशिया में वाली टापू है जो रामायण से सम्बन्धित है। सारे राष्ट्र में रामायण और महाभारत की कथा और चित्रकला दीवारों पर अङ्कित है। इसीप्रकार अन्य राष्ट्रों में जाईये, आर्यजाति की महानता का कोई न कोई चिह्न अवश्य मिलेगा। हमारे राष्ट्र में विमान विभाग का नाम इन्डिया ऐयर लाईन्स है तो अफगानिस्तान में इसका नाम आर्याना ऐयर लाईन्स है । आर्य साहित्य
आर्यजाति के महर्षियों की रचनाओं के बगदाद के खलीफाओं ने अपनी भाषाओं में अनुवाद कराये थे। हमारे आयुर्वेद के महान् ग्रन्थ जिनका नाम चरक और सुश्रुत है उनके अनुवाद बगदाद के शासक हारूँ रशीद ने करवाये जिनके नाम आज भी वहाँ की भाषा में चरक का "सरक" और सुश्रुत का " सुसरो " है ।
यही नहीं भारत के प्राचीन राजनीतिज्ञ आचार्य विष्णुशर्मा का विश्व- विख्यात ग्रन्थ पञ्चतन्त्र संसार की सभी भाषाओं में अनूदित हुआ। अमरीका में पञ्चतन्त्र का प्रकाशन भारी संख्या में हुआ। अमरीका ने अंग्रेजी में ही नहीं - संस्कृत में भी प्रकाशित किया। इसी ग्रन्थ पर एक विद्वत्तापूर्ण टिप्पणी ग्रन्थ भी अमरीका ने प्रकाशित कराया। फारसी में 'कलेला दमन' पञ्चतन्त्र का ही अनुवाद है। 

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