Mukund Mala Stotram |
Mukund Mala Stotram : मुकुन्द माला स्तोत्र
विवरण (Description):-
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं।
लोचनाभ्यां विहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यति।।
जिसकी बुद्धि नहीं, उसको शास्त्र की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि जिसके पास आंख ही नहीं, उसको शीशा का क्या
जरूरत ?
प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः । तस्मात्तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।
सब लोग प्रिय वाक्य सुनते ही प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए प्रिय वाक्य बोलने के लिए क्यों दरिद्रता करनी है ।
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्।।
जो अभिवादन है, नित्य वृद्धों की सेवा करता है, उसके चार गुण बढ़ जाते हैं; आयु, विद्या, कीर्ति और बल।
हस्तस्य भूषणं दानं, सत्यं कण्ठस्य भूषणम्। श्रोतस्य भूषणं शास्त्रं, भूषणैः किं प्रयोजनम्।।
देना, हाथ का आभूषण है। सत्य बोलना गले का श्रृंगार है। ज्ञान को सुनना कान का शोभा है। अन्य गहने, जैसे कंगन, हार, झुमके, आदि क्या उपयोग के हैं?
- पुस्तक का नाम/ Name of Book : मुकुन्द माला स्तोत्र | Mukund Mala Stotram
- पुस्तक के लेखक / Author of Book : रविन्द्र कुमार सेठ | Ravinder Kumar Seth
- श्रेणी / Categories : Dharm Books,Hindu
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