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उणादि कोष | Unadi Kosh PDF


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शब्दों के विषय में इन दोनों पक्षों को दृष्टिगत करते हुये "पाणिनि" ने 'अष्टाध्यायी' में निम्न दो सूत्रों का प्रणयन किया है; अव्युत्पन्नपक्ष में अर्थवदधातुरप्रत्ययः प्रातिपदिकम् (अ० १-२-६५) व्युत्पन्नपक्ष में कृत्तद्धितसमासाश्च (१-२-६६) व्याकरण के अध्येताओं को इन दोनों पक्षों की सम्यक् जानकारी होनी चाहिये, अन्यथा शब्द व्युत्पादन में उन्हें भ्रान्ति या विप्रतिपत्ति होगी, यथा अप्तृन्तृच्० (अ० ६-६-१६) सूत्र में तृनन्त एवं तृप्रत्ययान्त शब्दों की उपधा को दीर्घ सर्वनामस्थान के परे कहा है, वह उणादिकोष में “नप्तृनेष्ट्र (उणादि० २-६५)" सूत्र से निपातित तॄन् या तृप्रत्ययान्त शब्दों = पितरौ मातरौ इत्यादि में नहीं होता, क्योंकि अव्युत्पन्न पक्ष में - उपर्युक्त सूत्र में उणादि के तृन्तृच् प्रत्ययों का ग्रहण नहीं है, अतः इस पक्ष में 'अप्तृन्तृच्。' (अ० ५-४-११) इस सूत्र में पठित “नपत्रादि शब्दों" का ग्रहण विध्यर्थ है, तथा च व्युत्पत्ति पक्ष में नियमार्थ है, “ अप्तृन्तृच्" इस " सूत्र में पठित उणादि के तृन्तृप्रत्ययान्त "नप्त्रादि शब्दों" को दीर्घ होवे, अन्य में उणादि के तृनन्त एवं तृप्रत्ययान्त शब्दों में दीर्घ न होवे, इसलिए “पितरौ" "मातरौ" में दीर्घ नहीं होता उणादिकोष को न पढ़ने वालों को यह शंका भी होगी," रै, ग्लौ, नौ, गो" इन एजन्त शब्दों की “ कृन्मेजन्तः" (अ० १-१-३८) " सूत्र से अव्ययसंज्ञा एवं “अव्ययादाप्सुपः" (२-४-८२) से इन से परे सुप् प्रत्यय का लुक् क्यों नहीं होता ? इसका समाधान उणादिकोष के अध्ययन से होगा। Unadi Kosh pdf ,उणादि कोष PDF Download, उणादि कोष पीडीएफ डाऊनलोड, उणादि कोष PDF, Unadi Kosh sanskrit pdf free download, Unadi Kosh  pdf file.

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

उणादि कोष | Unadi Kosh PDF

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

श्री सत्यव्रत शास्त्री / Mr. Satyavrat Shastri

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

Sanskrit/Hindi

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  44 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 333

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

Education,


 


 


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