श्रीमद्भागवत महापुराण (केवल हिन्दी) ग्रन्थ हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Srimad-Bhagavat Puran (Hindi) PDF Download Free
Some Excerpts From the Book Srimad-Bhagavat Puran (Hindi)
We salute Lord Krishna in the form of Sachchidananda, who is the cause of the creation, condition and destruction of the world and the destroyer of all the three types of heat, spiritual, adhidaivik and adhibhautik. 1
At the time when the sacrificial rites of Shri Shukdevji had not even taken place and the occasion of the cosmic Vedic rituals had not even arrived, then seeing him alone going from home to take sannyasa, his father Vyasji started shouting and shouting – Son! Son! Where are you going ?' At that time the trees, being tanmay, had given an answer to Shri Shukdevji. I salute Sri Shukadev Muniko in such an omnipresent-hearted form. 2
Once, the sage Shaunakji, who is skilled in the taste of Bhagvatkathamrit, greeted Mahamati Sutji, who was sitting in the Naimisharanya area, and asked him. 3
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श्रीमद्भागवत महापुराण (केवल हिन्दी) ग्रन्थ पुस्तक के कुछ अंश
सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्णको हम नमस्कार करते हैं, जो जगत्को उत्पत्ति, स्थिति और विनाशके हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक तीनों प्रकारके तापोंका नाश करनेवाले हैं ॥ १ ॥
जिस समय श्रीशुकदेवजीका यज्ञोपवीत संस्कार भी नहीं हुआ था तथा लौकिक वैदिक कमोंकि अनुष्ठानका अवसर भी नहीं आया था, तभी उन्हें अकेले ही संन्यास लेनेके लिये घरसे जाते देखकर उनके पिता व्यासजी विरहसे कातर होकर पुकारने लगे- बेटा! बेटा! तुम कहाँ जा रहे हो ?' उस समय वृक्षोंने तन्मय होनेके कारण श्रीशुकदेवजीको ओरसे उत्तर दिया था। ऐसे सर्वभूत-हृदयस्वरूप श्रीशुकदेवमुनिको मैं नमस्कार करता हूँ ॥ २ ॥
एक बार भगवत्कथामृतका रसास्वादन करनेमें कुशल मुनिवर शौनकजीने नैमिषारण्य क्षेत्रमें विराजमान महामति सूतजीको नमस्कार करके उनसे पूछा ॥ ३ ॥
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