सर्वकार्य सिद्धि मंत्र | Sarvakarya Siddhi Mantra

अद्भुत कार्य सिद्धि मंत्र  और सर्वकार्य सिद्धि मंत्र | Wonderful work accomplishment mantra  and Sarvakarya Siddhi Mantra 

सर्वकार्य सिद्धि मंत्र | Sarvakarya Siddhi Mantra

 वैदिक अथवा तंत्रोक्त अनेक ऐसे मंत्र हैं, जिनमें साधना करने के लिए अत्यंत सावधानी की जरूरत होती है। सावधानी से कार्य करने पर प्रभाव प्राप्त ही नहीं होता अथवा सारा श्रम व्यर्थ चला जाता है। परंतु मंत्रों की साधना या सिद्धि में ऐसी कोई आशंका नहीं होती, यह सही है कि इनकी भाषा सरल और सामान्य होती है, मंत्रों को पढ़ने पर ऐसा कुछ भी अनुभव नहीं होता कि इनमें कुछ विशेष प्रभाव है, परंतु जब उन मंत्रों का जप किया जाता है, तो असाधारण सफलता दृष्टिगोचर होती है। कुछ मंत्र तो ऐसे हैं कि जिनको सिद्ध करने की जरूरत ही नहीं है, केवल कुछ समय उच्चारण करने से ही उसका प्रभाव स्पष्ट दिखाई देने लगता है।

सर्वकार्य सिद्धि मंत्र :-

आर्थिक, व्यावसायिक या व्यापारिक दृष्टि से किसी भी प्रकार की सफलता एवं उन्नति के लिए इस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है। 31 माला मंत्र जप करने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। दीपावली की रात्रि को इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है। किसी भी प्रकार की माला का प्रयोग साधन कर सकता है। आसन किसी भी प्रकार का हो सकता है। यदि रात्रि में इस मंत्र को सिद्ध किया जाए तो विशेष सफलता प्राप्त होती है। 

 

मंत्रः ॐ नमो महादेवी सर्वकार्य सिद्धकरणी जो पाती पूरे ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवतन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति श्री गुरु गोरखनाथ की दुहाई फरोमंत्र ईश्वरो वाचा। 


अद्भुत कार्य सिद्धि मंत्र :-


यह मंत्र भी कार्य सिद्धि मंत्र कहा जाता है और विशेष रूप से प्रभावयुक्त है। यह भैरव मंत्र है। अतः साहसी और निडर व्यक्ति को ही इस प्रकार के मंत्र का जाप करना चाहिए। दीपावली की रात्रि या ग्रहण की रात्रि में मंत्र को सिद्ध किया जा सकता है। साधना के लिए एक त्रिकोण बनाना चाहिए और उसके सामने चौमुख दीपक लगाना चाहिए। साधक को शुद्ध वस्त्र पहनकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जप करना चाहिए। एक हजार मंत्र जपने पर यह सिद्ध हो जाता है। यदि साधना-काल में भैरव का भयंकर रूप दिखाई दे तो घबराइए नहीं, अपितु उनके सम्मान में धूप-दीप, नैवेद्य प्रस्तुत कर पूजा करें और यदि वह साक्षात् उपस्थित हों तो उनके गले में फूलों की माला पहना दें। उसके बाद साधक कभी भी इस मंत्र की एक माला फेरकर कार्य भैरव को कहेगा वह कार्य अवश्य ही सिद्ध होगा। 

मंत्रः 


ॐ नमो काली कंकाली महाकाली के पूत कंकाली भैरव हुक्म हाजिर रहे मेरा तुरंत करे रक्षा करे आन बांधू, बान बांधू, चलते-फिरते को औसान बांधूं, दशों दशी मुखा बांधे, नौ नाड़ी बहत्तर कोठा बांधे, फुल में भेजू फैल में जाय काठे जो पड़ थर-यर कापे। हल हल हले गिर गिर पड़े उठ उठ भगे, बक बक बके मेरा भेजा सवा घड़ी पहर सवा दिन सवा मास सवा बरस का बावला न करे तो काली माता की सैया पर पांव धरे। वचन जो चूके समुद्र सूखे। वाचा छोड़ कुबाचा करे तो धोबी की नांट चमार के कुण्डे में पड़े। मेरा भेजा बावला न करे तो रुद्र के नेत्र से अग्नि ज्वाला कड़ै सिर की जटा टूटी भूमि पर गिरे। माता पार्वती के सिर पै चोट पड़े। बिना हुक्म नहीं मरना हो। काली कंकाल भैरव फरो मंत्र ईश्वरो वाचा। 


वस्तुतः यह मंत्र महत्त्वपूर्ण है, अतः साधक को सावधानी के साथ इस मंत्र का प्रयोग चाहिए। फिर भी यह देखा गया है कि इस मंत्र से व्यक्ति आर्थिक उन्नति, व्यापारिक सफलता, शत्रु-नाश तथा प्रत्येक कार्य की सिद्धि एवं सफलता प्राप्त कर सकता है।

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