बेईमानी की परत : हरिशंकर परसाई द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Beimani Ki Parat : by Harishankar Parsai Hindi PDF Book
Description- विवरण :-
पिछले सालों में लिखे गये निबंधों में से २२ इस पुस्तक में जा रहे हैं । कहानी के साथ ही मैं शुरू से निबंध भी लिखता रहा हूँ और यह विधा अपनी प्रकृतिगत स्वच्छंद्ता तथा ्यापकता के कारण मुझे बहुत अनुकूल भी प्रतीत हुई है । इसकी सभावनामो का कितना उपयोग कर पाया हूँ, यह दूसरी बात है । इतना जरूर जानता हूँ कि निबंध लिखते हुए मुझे सार्थकता मोर संतोष का अनुभव हुमा है।
मुख्य रूप से मैंने कहानियां लिखी हैं; गो इसमें भी मतभेद है कि वे नये शास्त्रीय मान से कहा नियाँ है भी या नहीं। बहुत बारीक समझ के कुछ लोगों ने कहा भी है कि वे'ची मन पर असर तो डालती है, पाद भी रहती है, गूंजती भी हैं-मगर उनके कहानी होने में दाक होता है । होता होगा। अपने पैर में जो जूता फिट न बैठे उसे कोई जूता ही नही मानते । वे भून जाते हैं कि कुछ जूते सिर के नाप के भी बनाये जाते हैं ।
मगर यह नियंघ-सग्रह है । इसे पाठको के हाथो में देते युझे न सकोर है. न झिझक। मैं पूरे विश्वास से दे रहा हूँ क्योकि इतने वर्षों में मैंने पाटक पर भरोसा किया है भोर उसने मुझ पर । एक लास तरह का पाठक 'पालो वक कहलाता है। उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
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