प्राणायाम : श्रीदुलारेलाल भार्गव द्वारा मुफ्त पीडीएफ हिंदी पुस्तक | Pranayam : by Shridularelal Bhargav Free Hindi PDF Book
प्राणायाम |
Description (विवरण):-
श्वास ही जीवन है जीवन पूर्णतः श्वास-क्रिया पर अवलम्बित है । श्वास ही जीवन है। विचारों की सरणी और नामावलियों में चाहे पूर्वी और पाश्चात्य विद्वान् कितना ही भिन्न हों, पर इन मूल सिद्धान्तों में दोनों एकमत हैं ।
श्वास लेना ही जीना है, और विना श्वास के जीवन नहीं है। केवल उच्च श्रेणी ही के जीव-जन्तु जीवन के लिये श्वास पर अवलम्बित नहीं हैं, बरन् नीची श्रेणी के जन्तुओं को भी जीने के लिये अवश्य श्वास लेनी पड़ती है। पौदों को भी कैसे हो, लगातार जीवन के लिये, हवा का आश्रय लेना पड़ता है।
नवजात शिशु एक लम्बी, गहरी साँस खींचता है, उसको थोड़े असे तक, जीवनदायिनी शक्ति को खींचने के लिये, रोक रखता है, और तब एक लम्बी साँस छोड़ता है। और, अहा ! उसका संसार का जीवन शुरू हो जाता है। वृद्ध मनुष्य निर्मल श्वास छोड़ता है, साँस लेना बन्द कर देता है, और बस, उसके जीवन का अन्त है ।
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