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Ravan Krut Shiv Tandav Strotam Pdf in Hindi
शिव ताण्डव स्तोत्र (संस्कृत:शिवताण्डवस्तोत्रम्) रावण द्वारा विरचित भगवान शिव का स्तोत्र है।
मान्यता है कि शिवभक्त रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब पूरे पर्वत को ही लंका ले चलने को उद्यत हुआ उस समय अपनी शक्ति पर पूर्ण अहंकार भाव में था। महादेव को उसका यह अहंकार पसंद नही आया तो भगवान् शिव ने अपने पैर के अंगूठे से तनिक सा जो दबाया तो कैलाश फिर जहां था वहीं अवस्थित हो गया। शिव के अनन्य भक्त रावण का हाथ दब गया और वह आर्त्तनाद कर उठा - "शंकर शंकर" - अर्थात क्षमा करिए, क्षमा करिए, और स्तुति करने लग गया; जो कालांतर में शिव तांडव स्तोत्र कहलाया। शिव ताण्डव स्तोत्र से शिव इतना खुश हुए की आशुतोष भगवान भोलेनाथ ने ना केवल रावण को सकल समृद्धि और सिद्धि से युक्त सोने की लंका ही वरदान के रूप में नहीं दी अपितु सम्पूर्ण ज्ञान, विज्ञान तथा अमर होने का वरदान भी दिया । कहा जाता है की शिव ताण्डव स्तोत्र सुनने मात्र से ही व्यक्ति सम्पत्ति , समृद्धि अथवा सन्तादि प्राप्त करता है।
पुस्तक का नाम/ Name of Book : Ravan Krut Shiv Tandav Strotam | रावण कृत शिव तांडव स्त्रोतम्
पुस्तक के लेखक/ Author of Book : Maharaj Deen Dikshit
श्रेणी / Categories : हिंदू - Hinduism,धार्मिक / Religious,
पुस्तक की भाषा / Language of Book : Hindi/Sanskrit
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 9.2 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 20
॥ सूचना ॥
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